भीड़ में अलग चेहरा बनों"

*"भीड़ में अलग चेहरा बनों"*

जिंदगी को अलग तरीके से जीने का जुनून पैदा करो। अपनी मौजूदगी की ठसक से वो जादू पैदा करो कि बावरी हवा पीछे मुड़ कर तुमको फिर से छूना चाहे। ये कोई दूर की बात नहीं है, हाँ, दूर की सोच जरूर है।

वो दिन दूर नहीं जब आप भीड़ में सबसे अलग चेहरा होंगे लेकिन वहाँ तक पहुँचने के लिए जिन्दगी को बिना शर्त उसके काम में मसरूफ़ करना पड़ेगा।

हो सकता है कुछ दिन महफिलों को त्यागना पड़े। मंजिलों तक जाने वाले हर रास्ते का नक्शा दिमाग में बनाये रखो। अपनी रग रग में उन रोमांचकारी ख्यालों को बहने दो जो हर कहीं लट्टू नहीं होते। कुछ परेशान करने वाली बातें आपकी पटरी पर चल रही जिन्दगी में ताकझांक कर आपकी जिन्दगी में बखेड़ा उत्पन्न भी करेगी। तुम टूटना मत। हार मत मानना। मुश्किल घड़ी में खुद को तसल्ली देना तुम दुनियां के उन चुनिन्दा लोगों में से एक हो जो जिन्दगी को ढो नहीं रहे हो बल्कि उसको बाँके सिपाही की तरह जी रहे हो।

तपना जरूरी है। बचपन में कितनी बार आँगन में गिर गिर कर चलना सीखा। कोई पालनहार गोद में ही लेकर चलता रहता तो शायद आज भी लड़खड़ाकर ही चलते। अब जब हम बड़े हुए है तो इम्तिहान भी बड़े ही होंगे।

उठो! तैयारी कर इन इम्तिहानों में शरीक होओ। इनमें शामिल नहीं होकर नीरस, सड़ियल जिन्दगी के सड़े फल मुझे नहीं चाहिए।

*योग गुरू - डॉ. मिलिन्द्र त्रिपाठी 🧘🏻‍♂️*

   (आरोग्य योग संकल्प केंद्र)