महिलाओं के लिए अभिशाप PCOD/PCOS , योग से है निदान. Curse for women PCOD / PCOS, yoga is diagnosed

महिलाओं के लिए अभिशाप PCOD/PCOS , योग से है निदान


 लेखन : - योगाचार्य योगाचार्य मिलिन्द्र त्रिपाठी 

लेखन मार्गदर्शन - गुरुदेव डॉ .शरद जी नागर , गुरुदेव राजेश्वर परमार जी ,गुरुदेव मनोज जी शर्मा 

आज के दौर में बहुत तीव्र जीवन शैली का चलन चल पड़ा है । यह जीवन शैली बहुत अस्त व्यस्त है । दिनचर्या के अस्त व्यस्त हो जाने से अनेको रोग शरीर को घेर लेते है । आजकल की भागदौड़ भरी, बेहद व्यस्त और तनावपूर्ण जीवनशैली के चलते हम अक्सर अपनी सेहत का सही तरह से ध्यान नहीं रख पाते, जिसके कारण कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं। बाहर का खाना तला ,गला ,बासी खाना ,चटपटा खाना तेज मिर्च, एवं अधिक मीठा खाना  हमारे भारतीयों की पहली पसंद है । हमारी माता बहने तो इस मामले में किसी तरह से कम नही आजकल सप्ताह में एक दिन यदि पति होटल ले जाकर न खिलाये तो लड़ाई हो जाना लगभग हर घर की समस्या हो चली है । जबसे होटलों का खाना आर्डर करते ही घर आने लगा है तब से बाहर का खाना महिलाओं के लिए ओर आसान हो गया है । वही समोसा ,कचोरी ,गोल गप्पे आलू टिकिया पाव भाजी हर महिला की पहली पसन्दों में सुमार रहता है इसके अलावा पहले भारतीय महिलाएं घर के सारे काम स्वयं के हाथों से करती थी आजकल प्रचलन बदला है अब घर के हर काम के लिए काम वाली महिलाओं को रखा जाना स्टेटस सिंबल बन गया है । इसका असर यह हुआ कि शारिरिक गतिविधियों पर विराम लग गया है ओर मोटापा आम समस्या हो चला है जब मोटापा आएगा तो वो कई बीमारियों को भी साथ लाएगा । वही दूसरी ओर अधिक तनाव ,ईर्ष्या की प्रवत्ति , बुराई करने की आदतों के कारण मानसिक अशान्ति होना भी आम बात हो गयी है । इन्ही सभी गलत आदतों के कारण महिलाओं को कुछ ख़ौफ़नाक बीमारियों ने भी घेर लिया है । उन्ही में से प्रमुख बीमारी है । PCOD/PCOS पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम” और “पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर” । 
स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही एवं शरीर की समस्याओं को अनदेखा करने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां पैदा होती है जिनमें से एक है PCOD/PCOS बीमारी। इस समस्या से पीड़ित महिलाओं में और भी अनेक बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। यह रोग महिलाओं एवं लड़कियों में होना आजकल आम बात हो गई है। कुछ सालों पहले तक यह समस्या 30-35 उम्र की महिलाओं में अधिक पाई जाती थी पर अब स्कूल / कॉलेज जा रही बच्चियों में भी इस तरह की समस्या आम हो गई है। जिन लड़कियों में पीरियड्स की अनियिमता की समस्या देखने को मिलती है उन्हीं लड़कियों को पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD) की समस्या का सामना करना पड़ता है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जो महिलाएं तनाव भरा जीवन व्यतीत करती हैं उनमें पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम होने की संभावना अधिक होती है।
अगर शुरुआती दौर में एवं कम उम्र में ही इस समस्या का पता लग जाए तो इसे काबू में करना आसान होता है।सामान्य से दिखने वाले लक्षणों पर आधारित PCOD और PCOS महिलाओं के लिए एक खतरनाक रोग साबित हो रहा है। इसके चलते न सिर्फ उन्हें हर महीने मासिक चक्र से जुड़ी कई तरह की समस्याओं और दर्द ,जलन का सामना करना पड़ता है, बल्कि गर्भधारण न कर पाने के चलते भी उन्हें भारी तनाव से जूझना पड़ता है। 


शादी के बाद गर्भधारण न हो पाने से अवसाद जैसी स्थिति का सामना :- भारत मे शादी होने के बाद से ही महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि जल्द से जल्द वो खुशखबरी सुना दें । आम बोल चाल में शादी के एक माह बाद से ही घर की अन्य महिला सदस्य दोस्त उनसे कहने लगती है भाभी जी खुशखबरी कब सुना रही है । ऐसे में PCOD/PCOS की समस्या से ग्रस्त महिला के लिए गर्भधारण करना नामुमकिन सा होता है शादी के बाद जब गर्भधारण नही होता तो महिलाओं को कई प्रकार के तानों को सुनना पड़ता है । जिसके कारण महिला तनावग्रस्त रहने लगती है धीरे धीरे वह अवसाद में घिर जाती है लेकिन हैरानी की बात है कि स्वयं महिलाएं ही इसके लक्षण को देखने के बावजूद इसे नज़रअंदाज़ करती रहती हैं। इसके बारे में जागरुकता व जानकारी, दोनों का ही होना बेहद ज़रूरी है।


अंधविश्वास का प्रचलन :- इस बीमारी से ग्रस्त महिलाओं को जब गर्भधारण नही होता तो सबसे पहले घर की बड़ी महिलाएं उन्हें कुछ अंधविश्वास की घुटी पिलाने लगती है और महिलाओं की प्रवत्ति भी धार्मिक होने के कारण वो गलत तरीके से इस बीमारी को ओर गहरी करती जाती है । खासतौर पर महिलाएं पूरा परिवार का बहुत अच्छे ढंग से ख्याल रख लेने के बावजूद अपनी सेहत के प्रति उपेक्षित ही रहती हैं। अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं अपनी सेहत संबंधी कोई समस्या होने पर भी उसकी तब तक अनदेखी करती रहती हैं, जब तक कि उसकी तकलीफ उनकी सहनशक्ति से बाहर न चली जाए या फिर डॉक्टर के पास जाने के अतिरिक्त कोई रास्ता न बचे।जब अधिक समय निकल जाता है तब मजबूरीवश स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाया जाता है । मेडिकल परीक्षण में यदि उक्त बीमारी का उल्लेख आता है तो महिलाओं को बांझ होने के ताने मिलने लगते है । जबकि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इस बीमारी के बावजूद भी गर्भधारण करवाने की सरल एवं सस्ती तकनीकों का ईजाद हो चुका है । 







क्या है PCOD/PCOS? -: 
यहां इस बारे में जानना बहुत ज़रूरी है कि ये दो अलग बीमारियां हैं, जिन्हें अक्सर एक ही मानने की गलती की जाती है। विभिन्न शोधों में बताया गया है कि पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम” और “पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर” एक ऐसी मेडिकल समस्या है, जो आमतौर पर रिप्रोडक्टिव उम्र की महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन (hormonal imbalance) के कारण पाई जाती है। PCOD/PCOS यानि 'पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर' या 'पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम'। इसमें महिला के गर्भाशय में मेल हार्मोन androgen का स्तर बढ़ जाता है परिणामस्वरूप ओवरी में सिस्ट्स बनने लगते हैं। यह आश्चर्य की बात है की इस बीमारी के होने का आजतक कोई कारण पता नहीं चला है और यह अभी भी शोध का विषय है, परंतु चिकित्सकों का मानना है कि यह समस्या महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन, मोटापा या तनाव के कारण उत्पन्न होती हैं। साथ ही यह जैनेटिकली भी होती है। शरीर में अधिक चर्बी होने की वजह से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ने लगती है,जिससे ओवरी में सिस्ट बनता है। वर्तमान में देखें तो हर दस में से एक प्रसव उम्र की महिला इसका शिकार हो रही हैं।


गूगल से न बने डॉक्टर :- आजकल आम प्रचलन है किसी भी तरह का रोग होने पर गूगल पर जानकारी सर्च कर दवाएं सर्च कर व्यक्ति स्वयं डॉक्टर बनने लगा है । इस कारण रोग तो ठीक नही होता बल्कि अन्य रोगों या साइड इफेक्ट से व्यक्ति ग्रसित हो जाता है । साथ ही शुरू से ही इस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है कि महिलाओं की बहुत सी समस्याएं ऐसी होती हैं, जिनके लक्षण अक्सर मिलते-जुलते से होते हैं। ऐसे में किसी भी रोग के लक्षण दिखने या स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर, केवल अपने अनुमान के आधार पर न तो उसे कोई घोषित रोग मान लेना चाहिए और न ही अपने-आप उसका उपचार करना चाहिए। यह करने की विशेषज्ञता एक पेशेवर डॉक्टर के पास होती ही होती है, इसलिए उसे आप अपना काम करने दें। आपके रोग के निदान और पूरी तरह से ठीक होने की दिशा में यह पहला कदम होता है ।



सबसे महत्वपूर्ण बात -: 
शुरू से ही इस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है कि महिलाओं की बहुत सी समस्याएं ऐसी होती हैं, जिनके लक्षण अक्सर मिलते-जुलते से होते हैं। ऐसे में किसी भी रोग के लक्षण दिखने या स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर, केवल अपने अनुमान के आधार पर न तो उसे कोई घोषित रोग मान लेना चाहिए और न ही अपने-आप उसका उपचार करना चाहिए। यह करने की विशेषज्ञता एक पेशेवर डॉक्टर के पास होती ही होती है, इसलिए उसे आप अपना काम करने दें। आपके रोग के निदान और पूरी तरह से ठीक होने की दिशा में यह पहला कदम होता है।हमारी आपको पहली सलाह तो यही है कि अगर आपको यहां बताए गए लक्षण अपनी सेहत पर भी नज़र आ रहे हैं तो घबराने या फिर उसका इलाज खुद ही शुरू कर देने की बजाय तुरंत किसी योग्य गाइनेकोलॉसिस्ट से मिलना चाहिए ।






इन संकेतों से पहचानें पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम को :

1. समय पर मासिक धर्म का न आना- छोटी उम्र में ही अनियमित पीरियड्स आना इसका सबसे बड़ा संकेत होता है।

2. अचानक वजन बढ़ना- इस रोग में ज्यादातर महिलाओं के शरीर में मोटापा बढ़ जाता है।

3. अधिक बाल उगना (Hirsutism)- ठोड़ी पर अनचाहे बाल उगना सिर्फ हार्मोनल चेंज ही नहीं इस बीमारी का लक्षण भी हो सकता है,इसके अलावा बालों का झड़ना, शरीर व चेहरे पर, छाती पर, पेट पर, पीठ पर अंगूठों पर या पैरों के अंगूठों पर बालों का उगना भी इसके लक्षण है।

4. भावनात्मक उथल-पुथल- जल्दी किसी बात पर इमोशनल हो जाना, अधिक चिंतित रहना, बेवजह चिड़चिड़ापन इस बीमारी के संकेत हो सकते हैं।

5. बांझपन- इस समस्या से बांझपन अधिक देखने को मिलता है, जिसका इलाज इन विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसी नई तकनीक से दूर किया जा सकता है, जिसके बाद प्राकृतिक तरीके से अंडा महिला के गर्भ में विकसित हो जाता है। PCOD महिलाओं में इनफर्टिलिटी के मुख्य कारणों में से एक है।

6. चेहरे पर मुहांसों का होना-ओवरी में सिस्ट चेहरे ,गर्दन, बांह, छाती, जांघों आदि जगहों पर धब्बे पर दाग धब्बे,तेलीय चेहरा या डैन्ड्रफ भी हो सकता है। मुंहासों की शुरुआत धीमी होती है पर जब इनकी अति हो जाए, तब कोई घरेलु उपचार आज़माने की बजाए डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं।

आओ जाने बचने के उपाय -: 
प्रकृति के समीप जाए :- नियमित सैर पर जाए सुबह के समय ताजी हवा में प्राकृतिक स्थानों पर जाए । इससे आप तरोताजा महसूस करेंगे । एक वाक्य आप गांठ बांध लीजिए जितने हम प्रकृति के निकट रहेंगे उतने स्वस्थ्य रहेंगे । 


नियमित व्यायाम करें : नियमित का अर्थ है सतत रोज करते रहना । शारीरिक क्रियाओं को लगातार जीवन मे अपनाकर आसानी से स्वस्थ्य रह सकते है । 
पैदल घूमना, जॉगिंग, योग, ज़ुम्बा डांस, एरोबिक्स,साइक्लिंग, स्विमिंग किसी भी तरह का शारीरिक व्यायाम रोज़ करें। व्यायाम के साथ आप ध्यान करने से भी तनाव कम होता है ।

मोटापा -: वजन में 10 परसेंट की कमी भी आपके पीरियड साइकिल को नियमित कर सकती है । वजन को कंट्रोल करें वजन तभी कंट्रोल होगा जब नियमित हम शरीर के स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे खाने पीने का परहेज करेंगे । 


व्यवस्थित दिनचर्या :- सुबह जल्दी उठना रात को जल्दी सोना एवं व्यवस्थित अपने सभी कार्यो को योजनाबद्ध तरीके से पूर्ण कर हम अनेको छोटे छोटे मानसिक तनाव से बच सकते है । हमारे माता पिता दादा दादी रोज सूर्योदय से पहले उठ जाया करते थे एवं रात्रि में जल्दी सो जाया करते थे हम पाते है तब आजके मुकाबले बेहद कम बीमारियां हुआ करती थी । 


संतुलित भोजन :- ज्यादा शुगर फूड से बचे । 
अपनी डाइट में फल,हरी सब्जियां,विटामिन बी युक्त आहार,खाने में ओमेगा 3 फेटी एसिड्स से भरपूर चीज़ें शामिल करें जैसे अलसी, दालचीनी,अखरोट आदि। आप अपनी डाइट में नट्स, बीज, दही, ताज़े फल व सब्जियां ज़रूर शामिल करें। दिन भर भरपूर पानी पीएं। मीठा खाने से परहेज करें क्योंकि डाइबिटीज़ होना इस बीमारी कारण हो सकता है। किसी भी तरह का मोटापा पैदा करने वाला पदार्थ जैसे, सफेद आटा, पास्ता, डब्बाबंद,चाइनीज फूड,मैदे के बने पदार्थ आदि न खाएं।

अपने भोजन में निम्न खाद्य पदार्थ अवश्य शामिल करें -: 

1.दालचीनी

ये आपके अनियमित पीरियड की समस्या को दूर करने में बड़ी मददगार होती है। एक बड़ा चम्मच  दालचीनी का पाउडर गरम पानी में मिला कर पी लें। 

2.अलसी

अलसी यानी flaxseed शरीर में androgen के स्तर को कम करने के साथ ही, कोलेस्ट्रॉल, बीपी को भी कम करती है व दिल की बीमारियों को होने से रोकती है। 1-2 बड़ी चम्मच ताज़ी पीसी हुई अलसी को पानी में मिला कर पी लें। इसे भी नियमित रूप से इस्तेमाल करें। 


योग से है निदान संभव -:

पद्मासन

क्रास लेग की अवस्था में बैठे| फिर दाएं पंजे को बाएं जांघ पर रखें और बाएं पंजे को दाएं जांघ पर रखें| पहली उंगली और अंगूठे को मिलाएं और ज्ञान मुद्रा बनाएं| लंबी सांस भरें, कुछ पल रोकें फिर सांस छोड़ें| यह आसन पेल्विक और प्रजनन अंगों पर काम करता है|

हलासन

जमीन पर सीधी लेट जाएं| सांस भरते हुए पैरों को 90 डिग्री पर उठाएं| हाथों की मदद से कमर को पीछे की और धकेलें और पैरों को पीछे की और ले जाएं| कुछ देर रुकें| सांस छोड़ते हुए वापस आएं| इसे 5 बार 10 सेकंड तक करने से शुरुआत करें| फिर क्षमता के आधार पर करें| यह आसन पेट की चर्बी को घटाता है|

धनुरासन

जमीन पर मुंह के बल लेट जाएं| घुटने मोड़कर पैरों को उठाएं| हाथ से पंजों को पकड़ें| लंबी सांस भरते हुए सीने को जमीन से उठायें| सामान्य सांस लेते हुए कुछ पल रुकें| सांस छोड़ते हुए वापस आएं| इससे पीरियड्स की समस्या में लाभ होता है| 5 बार 10 सेकंड तक करने से शुरुआत करें| फिर क्षमता के आधार पर बढ़ाएं|

उत्तानासन

सीधी खड़ी हो जाएं| लंबी सांस भरें| सांस छोड़ते हुए हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें| अपने धड यानि अपने ऊपर के हिस्से को सीधा रखें| क्षमता अनुसार इस स्थिति में कुछ सेकंड रहें। सांस भरते हुए वापस स्थिति में आएं| इस आसन को करने से पहले पेट बिल्कुल खाली होना चाहिए। यह आसन पीसीओडी की वजह से बढे वजन को कम करने में बहुत सहायक है|



भुजंगासन

पेट के बल लेट जाएं। दोनों परों को फैला दें। ठोड़ी ज़मीन पर लगाएं। कोहनियां पसलियों से सटाएं| हथेलियां ज़मीन पर लगाएं। सिर को ज़मीन से लगा दें। आंखें बंद कर सांस भरते हुए धीरे-धीरे ठोड़ी को ऊपर उठाएं|गर्दन आकाश की तरफ उठाएं। छाती धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और पेट को भी ऊपर उठाएं। गर्दन ऊपर की ओर ले जाते हुए पीठ को पीछे की ओर झुकाएं| आंख खोलकर सामान्य गति से सांस लें| पहली बार में इस आसन मुद्रा को बीस सेकंड से तीस सेकंड तक करें| फिर वापस आएं| इससे पेट की चर्बी घटाने में मदद मिलती है|  भुजंगासन
यह आसन करते समय शरीर का आकार फन उठाए हुए सर्प के समान होने के कारण इसे 'भुजंगासन' कहा जाता हैं। इसे करने से रीढ़ की हड्डी लचीली बनती हैं। गले में खराबी या दमा से पीड़ित व्यक्तिओ के लिए भी यह आसन लाभदायक है। महिलाओ में प्रजनन और मासिक संबंधी समस्या में लाभ मिलता हैं।

बालासन

अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं| कूल्हों पर एड़ी को रखें| आगे की ओर झुके और माथे को जमीन पर लगाएं। हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे की ओर बढ़ाते हुए जमीन पर रखें| हथेली आसमान की ओर धीरे से छाती से जाँघों पर दबाव दें। अगर ये आरामदायक न हो तो एक हथेली के ऊपर दूसरी हथेली को रखकर माथे को आराम से रखें। कुछ पल रुकें| धीरे से उठकर एड़ी पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे सीधा करें। विश्राम करें।

चक्कीचलनासन

दोनों पैरों को अच्छी तरह फैलाकर बैठ जाएं| हाथों को पकड़कर बाजुओं को कन्धों की सीध् में सामने की ओर रखें। लंबी-गहरी सांस लेते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे लाए| एक काल्पनिक गोला बनाते हुए दाहिनी ओर हिलाना शुरू करें। फिर सांस भरते हुए आगे और दाहिनी ओर जाएं| सांस छोड़ते हुए पीछे ओर बायीं आगे से दाहिनी ओर जाते हुए सांस भरें। निचले हिस्से में खिंचाव महसूस करें| और पैरों को स्थिर रखें। बाहें पीठ के साथ घूमेगी। घूमते हुए लंबी गहरी सांस लेती रहें। एक दिशा में 5 -10 राउंड करने के बाद दूसरी दिशा में दोहराए। इस आसन से कमर, पेट, पीठ और पेल्विक टोंड और शेप में रहते हैं।





भद्रासन

भद्र' का मतलब होता है 'अनुकूल' या 'सुन्दर'। यह आसन लम्बे समय तक ध्यान में बैठे रहने के लिए अनुकूल है और इससे शरीर निरोग और सुंदर रहने के कारण इसे भद्रासन कहा जाता हैं। इसे रोज़ करने से कमर और पीठ के निचले हिस्से को ताकत मिलती है। साथ ही यह मासिक धर्म की परेशानी को दूर करने में मदद करता और पाचन तंत्र को भी अच्छा रखता है।






कोणासन

इस आसन को प्रतिदिन यदि 10 मिनट तक किया जाए तो कमर दर्द से बचाव व कमर दर्द में आराम भी मिलेगा, यही नहीं इसे करने से बाजू, और शरीर के निचले हिस्सों और पैरों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। साथ ही साइटिका और कब्ज में भी आराम मिलती है । 

बद्धकोणासन/ तितली आसन

पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए सीधी बैठ जाएँ| घुटनो को मोड़कर दोनों पैरों के तलवो को एक-दुसरे से मिलाएं| दोनों हाथों से दोनों पैरों को कसकर पकड़ लें। हाथों को पैरों के नीचे रखें। एड़ी को जननांग के करीब लाने का प्रयास करें। लंबी-गहरी सांस भरें| सांस छोड़ते हुए घुटनो एवं जांघो को जमीन की ओर दबाएं| तितली के पंखों की तरह दोनों पैरों को ऊपर-नीचे हिलाना शुरू करें। धीरे-धीरे गति बढ़ाएं। सांस लेती रहें। धीमा करते हुए रुकें| गहरी सांस ले, फिर सांस छोड़ते हए आगे की ओर झुकें| ठुड्डी उठी हुई, रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। कोहनी से जांघों या घुटनो पर दबाव डाले जिससे घुटने एवं जांघ जमीन को छुए। जांघों के अंदरुनी हिस्से में खिंचाव महसूस करें| लंबी गहरी सांस ले और धड़ को ऊपर लाएं। सांस छोड़ते हुए वापस आएं| इसे अपनी क्षमता के हिसाब से करें| यह आसान पीरियड्स के दौरान होने वाली असुविधा में राहत देता है|


चक्रासन

जिस आसन में रीढ़ चक्र के समान आकार ग्रहण कर लेती है, उसे ‘चक्रासन' कहा जाता है। गर्दन, छाती, कमर, बांह, पेट, हाथ, पैर एवं घुटने आदि अंग लचिले बन जाते हैं। अनेक रोगों से मुक्त भी हो जाते हैं। इस आसन के करते रहने से कंधों में ताकत तथा मेरुदंड में लचक आ जाती है। चक्रासन के अभ्यास करते रहने वाली महिलाओं को माहवारी (मासिक धर्म) के समय दुखदायी पीड़ा नहीं होती तथा मासिल चक्र की अनियमितता का सामना भी नहीं करना पड़ता।



सुखासन

सुखासन बैठकर किया जाने वाला योग है। इस योग से शरीर को सुख और शांति की अनुभूति मिलती है। यह ध्यान और श्वसन के लिए लाभदायक मुद्रा है।



प्राणायाम 
अनुलोम-विलोम करने के लिए सुखासन में बैठकर अपनी दाहिनी नाक के छिद्र को बंद करके बाए छिद्र से सांस ले और दूसरी नाक से सांस छोड़ें| इसी प्रकार दूसरी तरफ से यह क्रिया करें| इसे दस मिनट तक करें| ।अनुलोम विलोम में साँस लेने और छोड़ने की विधि को दोहराया जाता है। इसे रोज़ 5 से 10 मिनट करने से क्रोध, चिंता, भय, तनाव और अनिद्रा इत्यादि मानसिक विकारो को दूर करने में मदद मिलती हैं। मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं और स्मरणशक्ति बढ़ती हैं।

कपालभाति प्राणायाम के लिए सुखासन या पद्मासन पर बैठें। पीठ सीधी रखें| तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से सांस को यथासंभव बाहर फेंकें। साथ ही पेट को अंदर की ओर खींचें। तुरन्त नाक के दोनों छिद्रों से सांस अंदर खींचे और पेट को जितना हो सके बाहर आने दे। इस क्रिया को शक्ति व आवश्यकतानुसार 50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते हैे| क्रम धीरे-धीरे बढ़ाएं।


लेखक : -योगाचार्य मिलिन्द्र त्रिपाठी 9977383800