पूरा स्टेडियम एक बल्लेबाज़ पर निगाह जमाये बैठा है। कोई उसकी असफलता पर ताली बजाता है तो कोई उसके कौशल पर। तालियों के शोर को सुनने के बजाय बल्ले का बॉल से संवाद स्थापित करें। ऐसा करें जिसमें आप श्रेष्ठ है।
जीवन में 'गुगली बॉल' से सामना अवश्य करना पड़ेगा। ऐसे में दो कदम आगे बढ़कर या एक कदम पीछे हटकर मुकाबला करो। अनपेक्षित प्रश्न जिन्दगी खड़े करती रहेगी, हल करने के लिए तैयार रहे।
पूरे मैदान का क्षेत्ररक्षण आप नही कर सकते, अपने दायरे में अपना श्रेष्ठ दें, गिरकर, उछलकर, संभलकर या अवसर को लपककर।
जिंदगी जब बॉल के रूप में सधा हुआ आक्रमण करती है तब चुनौतियाँ क्षेत्ररक्षकों के रूप में घेरा बना कर हमें कातर बनाने की कोशिश करती है। हंसते मुस्कराते हुए दो चार साहसी प्रहार कीजिये सब बिखर जायेंगे।
बॉल रूपी अवसर आप नही भुना पाते है तो स्लीप में खड़े दूसरे लोग आप के अवसर को लपक लेते है।
ये जो तीन विकेट्स है ना ये प्रतीक है अभ्यास, धैर्य और टिके रहने का। आप जब क्रीज़ रूपी लक्ष्य की और भाग रहे होते है तब विरोधी इन तीनों को गिराने की कोशिश करते है, लेकिन आप दायरे में होते है तो आप का कोई कुछ नही बिगाड़ पाता। इन तीनों की सुरक्षा के लिए हाथ में बल्ला पुरुषार्थ का प्रतीक है, ये बीच में टांग का आना आलस्य का आना है जिसे हम 'एलबीडब्ल्यू' बोलते है।
अम्पायर जीवन का अनुशासन है उसका सम्मान करो। ये जो हज़ारों आंखे आपको देखती है, ये दुनिया की आपसे उम्मीदें है। आप के लक्ष्य को पाने में पूरी टीम जुटी हुई है उनकी अच्छी और बुरी परिस्थितियों में मनोबल बढ़ाते रहें।
ये जो खूबसूरत 'कवर ड्राइव' आपने किया है, ये आपके दस हज़ार से भी अधिक बार किये गए अभ्यास की संतोषजनक परिणति है। शास्त्रोक्त है 'अनभ्यासे तु विषं विद्या'
जैसा पिच हो वैसा खेलना पड़ता है, धीमा, तेज, आक्रामक। इसे ही अनुभव, अनुकूलन, समझदारी कहते है।
'मैन ऑफ द मैच' या 'वुमन ऑफ द मैच' बनने के लिए छः सात घंटे मैदान में खड़े दूसरे और स्वयं की अच्छी बातों और गलतियों से सीखते रहिये। आत्मविश्वास पूर्वक साक्षात्कार दीजिए, आपकी सफलता में योगदान देने वालों को श्रेय देना न भूलें।
All the Best.
*योग गुरू - डॉ मिलिन्द्र त्रिपाठी*
(आरोग योग संकल्प केंद्र)