अभिशाप या वरदान

प्रकृति की तरफ से मानव को मिला सबसे बड़ा पुरस्कार 'मानव मस्तिष्क' है। लेकिन आप माने या ना माने मानव के लिए सबसे बड़ा अभिशाप भी 'मानव मस्तिष्क' ही है।

इसी मस्तिष्क से इन्सान ने हज़ारों बड़े बड़े रचनात्मक कार्य किये है और इसी मस्तिष्क ने इन्सान को विनाशमूलक कार्यों और आत्महत्या के लिए प्रेरित किया है।

मैंने मनुष्य के अलावा किसी अन्य प्राणी को प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष या किसी फुटेज में आत्महत्या करते नहीं देखा है। उनको हमेशा जीवन जीने का संघर्ष करते हुए ही देखा है।

नीचे लिखी सभी परिस्थितियों में मस्तिष्क आपके लिए वरदान है अगर आपके मस्तिष्क में अर्जित या प्राकृतिक सकारात्मकताएं हैं।

▪️झगड़ा करना है × या टालना है√

▪️भरपेट खाना है × या पेटभर खाना है√

▪️खामियों का रोना रोना है × या उनमें भी खुशियों को ढूंढना है√

▪️अंधेरों से डरना है × या अंधेरों की दी हुई शान्ति का अनुभव करना है√

▪️मान लेना कि मेरी तकदीर में दुःख ही दुःख है × या विश्वास रखना कि लगातार चलते रहने से नए और अच्छे भूदृश्य आयेंगे।√

▪️यह मान लेना कि मैं नहीं कर सकता जबकि आप कर सकते है× या यह मान लेना कि मैं करके रहूँगा जबकि कार्य बहुत मुश्किल है।√


नीचे लिखी सभी परिस्थितियों में मस्तिष्क आपके लिए अभिशाप है अगर आपके मस्तिष्क में अर्जित या प्राकृतिक नकारात्मकताएं हैं।

▪️आप दूसरों की क्षमताओं से ईर्ष्या रखते है √ जबकि आप उसी गुण को सीख कर अगले व्यक्ति को धन्यवाद दे सकते है।×

▪️आप नाव को हवाओं के भरोसे छोड़ सकते है√ या उसको अपने गंतव्य के हिसाब से आगे बढ़ाना चाहते है।×

▪️लोगों द्वारा तोड़े जाने पर टूट जाना है√ या और मजबूत होकर तोड़ने वाले को निराशा देनी है।×

▪️दूसरों के किस्से सुन कर हतोत्साहित होते है√ या अपने किस्से को सही अन्जाम देकर प्रेरणा का एक स्रोत बनते है।×

▪️गम के आंसुओं अनुभव करते है√ या खुशी के आँसुओं का हर्षानुभव चाहते है×

▪️जीवन में दोष ढूंढते है√ या जीवन में दोस्त ढूंढते है।×

मस्तिष्क में कोई भी नकारात्मक विचार आये तो दुत्कार कर भगा दो, क्योंकि अभी हमने हरित वनों को, कलकल बहती नदी को, ठण्डी फुहार वाले झरने को, खिलखिलाते बचपन को, कमनीय निश्छल सौन्दर्य को, अनुभवी नसीहतों को, बेशकीमती नज़ीरों को, दोस्तों के साथ ठहाकों की चौपालों को, और परिश्रम की पराकाष्ठा के बाद मिलने वाले जीवन सुख का अनुभव यथार्थत: किया ही कहाँ है।

समृद्ध मस्तिष्क: समृद्ध जीवन।

*योग गुरू - डॉ. मिलिन्द्र त्रिपाठी 🧘🏻‍♂️*

   (आरोग्य योग संकल्प केंद्र)