कठिन_रास्ते_कल_को_सरल_बनाते_है



जिन्दगी हर व्यक्ति के लिए कठिनाइयों भरी डगर है; जिनकी प्रसिद्धि, उपलब्धि से आप ईर्ष्या करते हैं, वे खुद रात दिन किसी और से कुढ़ते रहते हैं। आप खाली जेब फुटपाथ पर चल रहे है तो अभी भी आप दुनियां के उन करोड़ों लोगों से बेहतर स्थिति में है जो अस्पतालों के आपातकाल या आईसीयु में लेटे हैं। 

जीवन की सबसे बड़ी खूबसूरती और सबसे बड़ा दर्द यह है कि कल के बारे में किसी को कुछ नहीं पता। सरल भाषा में कहें तो जिसमें कल को खूबसूरत बनाने का जज्बा आज जिंदा है तो वह अमीर है और जिसको कोई अच्छे कल की उम्मीद ही नहीं है, वह दुनियां में सबसे गरीब है।

अगर आपने रास्ता ही सिर्फ आराम वाला चुना है तो आपको अपनी तकदीर के खिलाफ शिकायत करने का कोई हक नहीं। शिखर तक चढ़ने में हाँफना पड़ता है लेकिन वहाँ से हम संसार को जमीन पर खड़े लोगों से बेहतर देख पाते हैं। रोज कई घंटों का साज पर या कण्ठ से रियाज आपको थका देता है लेकिन एक कलाकार का कद धीरे धीरे उसी से बड़ा होता है। बावड़ी में बाल्टी औंधे मुँह गिरती है तो सरस सलिल से भर कर बाहर आती है। जिन्दगी के इम्तिहान जब नीरस रेगिस्तान ले रहा होता है तब हमें छोटे से छोटे हासिल की अहमियत समझ आती है। सर्दियों में चूल्हे के आगे सिकुड़ कर बैठे बैठे निगाहों में सूरज की उदारता का अप्रतिम चित्र उमड़ता है। खानपान के सुखों की अतिशयता से थुलथुल हुआ शरीर पुनः कष्ट की प्रक्रिया से गुजर कर ही पूर्ववत होता है।

रिश्ते नातों से ही तथाकथित सारे सुख मिलते है और तथाकथित सारे दुःख भी वहीं से मिलते हैं। तेरे मेरे के इस झगड़े को आप हर जगह टाल पाते है तो आप उन तमाम खूबसूरत चीजों, पलों और स्थानों को पाने के हकदार हो जाते हैं जिसके बारे में झगड़ालू प्रवृत्ति के लोग सोच भी नहीं पाते।

सहनशील व्यक्ति के तेवर दिखते नहीं है लेकिन आसमाँ उन्हीं की जद में आता है। छोटी छोटी हारों और तकलीफों को तत्काल भूलकर नए सृजन पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। जीवनपथ सिर्फ तकलीफों से ही भरा हुआ नहीं है इसमें खुशियों का भी अपार खजाना है। जीवन को खूबसूरत बनाने में सबसे बड़ा योगदान आपका स्वयं का होता है। लीक से हटकर चलने वाले रास्तों में कठिनाइयां बहुत है लेकिन उससे कम है जहाँ रास्ता सिर्फ आराम का है। आज के कठिन रास्ते कल को सरल बनाते है, आज के आराम के रास्ते कल को कठिन बनाते है।

हमारे शास्त्र कहते है कि इन्सान इस दुनियां में ना कुछ लाता है ना कुछ ले जाता है। सच ही कहा है। लेकिन ऐसे में हमारा इतना तो दायित्व बनता है कि हम हमारी और आसपास की दुनियां को बेहतर बनाएं, पर किसी भी हालत में हम इसे खुद के लिए और दूसरों के लिए बदतर नहीं बनाएं।

जिंदगी कैसी भी हो लेकिन आपने उसमें खूबसूरती के तत्व खोज लिए हैं तो अब आपको जीवन के किसी भी मिशन पर आगे बढ़ने के लिए बैसाखियों की जरूरत नहीं है।

*योग गुरू - डॉ. मिलिन्द्र त्रिपाठी 🧘‍♂️*

(आरोग्य योग संकल्प केंद्र)