7 चक्र एक धार्मिक और योगिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण प्रतीक हैं। ये चक्र शरीर, मन, और आत्मा को प्रदर्शित करने वाले विभिन्नस्तरों को संदर्भित करते हैं। इन चक्रों की संचालना के माध्यम से व्यक्ति अपने शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास कोसमझने और सुधारने का प्रयास करता है।
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निम्नलिखित हैं सात चक्रों का संक्षेप में परिचय:
1. मूलाधार चक्र (Root Chakra):
मूलाधार चक्र शरीर के नीचे स्थित होता है और इसे मूल चक्र भी कहा जाता है। इस चक्र का संबंध प्राथमिक जीवन समर्थन, सुरक्षा, आत्मविश्वास, और स्थिरता से होता है।
2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra):
स्वाधिष्ठान चक्र नाभि के नीचे स्थित होता है और इसे सक्राल चक्र भी कहा जाता है। यह चक्र स्वास्थ्य, संतुलन, संबंधों, औरभावनाएं सम्मिलित करता है।
3. मणिपूर चक्र (Solar Plexus Chakra):
मणिपूर चक्र नाभि और छाती के बीच में स्थित होता है और इसे सोलर प्लेक्सस चक्र भी कहा जाता है। यह चक्र आत्मसम्मान, शक्ति, स्वाधीनता, और समर्थन को दर्शाता है।
4. अनाहत चक्र (Heart Chakra):
अनाहत चक्र हृदय के नीचे स्थित होता है और इसे हार्ट चक्र भी कहा जाता है। यह चक्र प्रेम, सहानुभूति, करुणा, और समरसता कोप्रकट करता है।
5. विशुद्ध चक्र (Throat Chakra):
विशुद्ध चक्र गले के करीब स्थित होता है और इसे थ्रोट चक्र भी कहा जाता है। यह चक्र संवाद क्षमता, सत्यनिष्ठा, समझौता औरअच्छे संबंधों के विकास में मदद करता है।
6. आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra):
आज्ञा चक्र भ्रूमध्य या भ्रूमध्य आज्ञा के बीच में स्थित होता है। यह चक्र ज्ञान, ध्यान, और आंतरिक दृष्टि को संदर्भित करता है।
7. सहस्रार चक्र (Crown Chakra):
सहस्रार चक्र शिर में स्थित होता है और इसे क्राउन चक्र भी कहा जाता है। यह चक्र आत्मसाक्षात्कार, आनंद, और समृद्धि के अनुभवको प्रोत्साहित करता है।
योग और तंत्र शास्त्र में यह माना जाता है कि इन सात चक्रों के संतुलन में रहने से शरीर, मन, और आत्मा में संतुलन होता है, जिससेसामर्थ्य, स्वास