कोरोना वायरस से लड़ने में सबसे असरदार प्राणायाम वशिष्ठ प्राणायाम Vashistha pranayama most effective in fighting the corona virus

कोरोना वायरस से लड़ने में सबसे असरदार प्राणायाम वशिष्ठ प्राणायाम-: 



लेखन एवं संकलन - योगाचार्य पं. मिलिन्द्र त्रिपाठी (M.Sc yoga therapy )

यदि आपका कोई परिचित कोरोना संक्रमित है या जिसके आसपास कोरोना संक्रमण फैल रहा हो तो ऐसे लोगो के लिए आज का लेख बेहद महत्वपूर्ण है । प्राणायाम हमारे प्राणों को आयाम देने के साथ साथ शरीर के सूक्ष्म उर्जा को भी उजागर कर देता है । प्राणायाम हमारे शरीर के बाह्य एवं आभ्यंतर दोनों कष्ट को नियंत्रित कर शारीरिक,मानसिक कष्ट एवं तनाव को दूर करता है। योग गुरु धीरज जी द्वारा कोरोना महामारी के दौरान एक ऐसे प्राणायाम से जनता की सेवा में समर्पित किया गया । जिससे कोरोना मरीज ठीक हो रहें है । वही जिन्हें कोरोना नही हुआ है उन्हें यह प्राणायाम कोरोना से बचा रहा है । ऋषि वशिष्ठ को समर्पित यह प्राणायाम आधुनिक दौर में बेहद कारगर है । वशिष्ठ का नाम योग गुरुओं में बहुत ऊंचा है। वो भगवान राम के गुरु थे, एक महान ऋषि अर्थात महर्षि थे। वास्तव में रघुकुल राजवंश के गुरुओं की उपाधि वशिष्ठ हुआ करती थी। उन्ही के नाम पर इस प्राणायाम का नामकरण किया गया है । अस्पताल में बेड पर चिकित्सारत मरीज भी इस प्राणायाम का लाभ ले सकते है ।  इस प्राणयाम को हर आयु वर्ग का व्यक्ति कर सकता है । इस प्राणायाम में कुम्भक और मुद्रा का इस्तेमाल योग के फ़ायदे को कई गुना बढ़ा सकता है। गहरी सांस के लिए जरुरी है कि हम अपने डायफ्राम की कार्यक्षमता को बढ़ाएं । जैसे ही डायफ्रॉम की शक्ति बढेगी वैसे ही प्राण का फ्लो बड़ता चला जाएगा। इसके लिए डायफ्रॉमिक ब्रीदिग वशिष्ठ प्राणायाम में ताड़ागी मुद्रा , कुम्भक और बंध का इस्तेमाल कर हम सांस लेने की अपनी क्षमता को बेहतर कर ज्यादा स्वस्थ रह सकते हैं। 


क्या लाभ है विशिष्ट प्राणायाम के -: 
यह प्राणायाम प्राचीन नही है । इसे कोई भी व्यक्ति चाहे वो किसी भी उम्र का हो कर सकता है । बीमार व्यक्ति भी इसे आसानी से कर सकता है जिसके कारण उसकी बीमारी से रिकवरी रेट में तेजी से सुधार होगा । इस प्राणायाम से प्राण का विस्तार होगा । शरीर के  स्वयं को इलाज देने की प्रक्रिया में तेजी आएगी । मन स्थिर होगा जिससे ऊर्जा की खपत रुकेगी । पूरे शरीर को शांति मिलेगी ,अनिंद्रा की समस्या को यह प्राणायाम जड़ से खत्म कर देगा । सोने के पहले इस प्राणायाम को करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार होगा । जितनी गहरी हमारी सांस होगी उतना हम स्वस्थ रहेंगे ।इस प्राणायाम में पेट से सांस लेने पर फोकस करना है ।  यही इस प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य है ।


विशिष्ट प्राणायाम को करने की विधि -: 
फोटो में दिखाए अनुसार पीठ के बल लेटेंगे रीढ़ की हड्डी सीधी रहेगी इसी अवस्था मे पैर के तलवे को जमीन पर रखकर धीरे धीरे पैर के पंजे हिप्स के पास लाएंगे । जैसे कीगल एक्सरसाइज एवं सेतु बन्ध आसान की शुरुआत में करते है ठीक उसी प्रकार से पोजिशन लेंगे । दोनो पैर की एड़ी हिप्स के करीब रहेगी । दोनो हाथों की हथेली खोलकर आसमान की तरफ रखेंगे  । सर्वप्रथम धीरे धीरे सांस पेट के माध्यम से पूरी तरह खाली करेंगे पेट एकदम अंदर चला जायेगा बिल्कुल गड्ढानुमा आकर हो जाएगा । फिर धीरे धीरे गुब्बारे की तरह पेट को साँसों से भरना है जब तक कि एक भी सांस खिंचने की क्षमता खत्म न हो जाये अन्य देखने वाले व्यक्ति को पेट तोंद के समान पूरा बाहर नजर आएगा । धीरे धीरे पेट को फुलाने के पीछे विज्ञान कहता है कि फेफड़े प्राण का भंडार है ।  फेफड़ा अपने आप सांस नही लेता  डायफ्राम उसकी मदद करता है ।  डायफ्राम नीचे जाएगा सांस अंदर आएगी डायफ्राम ऊपर आएगा तब सांस बाहर जाएगी । आज के दौर में डायफ्राम की एक्सरसाइज बहुत कम होने से शरीर अस्वस्थ होता है इस प्राणायाम में इसी पर ध्यान दिया जाता । 1 साल से छोटे बच्चे प्राकृतिक रूप से ऐसे ही सांस लेते है । उम्र बढ़ने के साथ हम सांस लेने के इस प्राकृतिक तरीके को भूल जाते है । यह प्राणायाम बेहद तनाव से आपको शांत करेगा । इसके साथ कल्पनाशक्ति का उपयोग करके ओर अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है ।  कल्पना करनी है जब सांस शरीर के अंदर आ रही है तो शरीर मे ऊर्जा का स्तर बढ़ रहा है । जब हम सांस छोड़ते है तब हमें स्वयं को धरती माँ के प्रति समर्पित करने की कल्पना करनी है । प्रकृति को स्वयं को समर्पित करने से ऊर्जा ही ऊर्जा प्राप्त होगी । प्रकृति के पास आपार ऊर्जा है । इस प्राणायाम में पैर सीधा इसलिए नही रखते है क्योकि सीधे पैर रखने से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव होता है ।  इसलिए इसमें पैर को मोड़ कर रखना चाहिए । 

कोरोना को हराने वालो की जुबानी वशिष्ठ प्राणायाम की सफलता की कहानी -: 

कोरोना वायरस(Coronavirus) का कहर लगातार जारी है, लेकिन इस बीच कोरोना के खिलाफ लड़ाई की एक सकारात्मक खबर सामने आई है । मर्चेंट नेवी में 15 साल कैप्टन रहे अश्विनी गर्ग ने 4 बार कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद भी कोरोना को हरा दिया । 
अश्विनी गर्ग ने जर्मनी में रहने वाले अपने भाई की सलाह पर, वशिष्ठ योग फाउंडेशन के योग गुरु धीरज वशिष्ठ की सलाह पर खास तकनीक पर आधारित योग और प्राणायाम किया । 
अश्विनी ने बताया कि उन्होंने योग प्राणायाम की मदद से कोरोना को एक भी पल हावी नहीं होने दिया । 17 अप्रैल शुक्रवार रात मेरठ मेडिकल कालेज से वे डिस्चार्ज हो गए और कोरोना से जंग जीतकर घर लौट आए । 

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लेखन एवं संकलन - योगाचार्य पं. मिलिन्द्र त्रिपाठी (M.Sc yoga therapy )