विश्व योग दिवस पर उज्जैन योग संघ के ऑनलाइन आयोजनों से जुड़े हजारों नागरिक -:
योग शिक्षा को अनिवार्य किये जाने की मांग -:
लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी
आज विश्व योग दिवस के अवसर पर
योग के प्रचार प्रसार के लिए अनेकों आयोजन किये जा रहें है । लेकिन उज्जैन योग संघ के अनूठे आयोजनों ने योग के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । लॉक डाउन के कारण घरों में रहकर योग करने की गाइड लाइन के बाद उज्जैन योग संघ के इस नवाचार को सराहा जा रहा है । उज्जैन योग संघ के आयोजनों में देश ही नही विदेश में रह रहे भारतीय भी जुड़ रहें है । इंटरनेशनल स्तर के योग ट्रेनर आयोजित आयोजनों में हिस्सा ले रहे है । उज्जैन योग संघ द्वारा ऑल इंडिया ऑनलाइन योगा चैंपियनशिप का आयोजन किया जा रहा है साथ ही योग के प्रति जागरूकता को लेकर ऑनलाइन योगा क्विज का आयोजन भी किया गया । ऑल इंडिया ऑनलाइन योगा चैंपियनशिप में प्रतिभागियों के योग करते हुए फोटो उनके नाम के साथ फेसबुक पर अलग अलग पोस्टों के माध्यम से डाले जाते है । 25 जून रात 8 बजे तक जारी इस प्रतियोगिता में कोई भी आम नागरिक हिस्सा ले सकता है । 25 जून रात 8 बजे तक जिस प्रतिभागी की फेसबुक पोस्ट को सबसे ज्यादा लाइक ओर कमेंट प्राप्त होंगे उसे विजेता घोषित किया जाएगा । वरीयता के हिसाब से प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को ऑनलाइन सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा ।अभी तक इस स्पर्धा में 1000 से ज्यादा वोट नागरिकों द्वारा दिये जा चुके है । वही क्विज प्रतियोगिता में अब तक 100 से ज्यादा नागरिक हिस्सा ले चुके है 25 जून रात 8 बजे तक जारी इस स्पर्धा में भी प्रत्येक 50% अंक लाने वाले प्रतिभागियों को उनके दर्ज ईमेल पर सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा । वही योग संघ द्वारा चीनी एप्स के विरोध का अभियान भी साथ साथ में चलाया जा रहा है । अपने से जुड़ने वाले हर नागरिक से चीनी एप्स को डिलीट करने का अनुरोध किया जा रहा है । विश्व योग दिवस पर योग की महत्ता को दर्शाते हुए उज्जैन योग संघ ने योग को शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक शिक्षा का मूलमंत्र एवं जीवन जीने की सच्ची कला बताते हुए सरकार से मांग की है कि योग शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाए । जब सरकार योग के महत्व को जानती है तो क्यो नही स्कूल कॉलेजों में योग शिक्षा को अनिवार्य किया जा रहा है । योग हमारे जीवन से जुड़े भौतिक,मानसिक,आत्मिक,
आध्यात्मिक आदि सभी पहलुओं पर काम कर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। इसे अपनाने से देश को विश्व गुरु बनने से कोई नही रोक सकता । भारत के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी विद्यालयों में चाहे वह सरकारी,प्राइवेट ,CBSE या इंटरनेशनल हो, योग शिक्षा अनिवार्य रूप से लागू कर देनी चाहिए।वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित याचिका की सुनवाई करते हुए
आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए योग शिक्षा अनिवार्य करने पर तीन महीने के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया था । मगर, चार साल बाद बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार इसके लिए राष्ट्रीय योग नीति पर कोई निर्णय नहीं ले पाई है । योग के प्रचार-प्रसार के लिए राष्ट्रीय योग नीति बनाने की जरूरत है ।सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब तक सरकार को इस दिशा में उचित निर्णय लेना चाहिए था । संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार भी जीने के मौलिक अधिकार का हिस्सा कहा है ।जनता के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कदम उठाना सरकार की जिम्मेदारी है । इसलिए सभी बच्चों को योग एवं स्वास्थ्य शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय योग नीति बनाना जरूरी है । तभी बच्चों को स्वास्थ्य का अधिकार मिल सकेगा ।
लेखन एवं संकलन मिलिन्द्र त्रिपाठी