आखिर क्यों योग शिक्षा को हर स्कूल में अनिवार्य किया जाए -:
लेखक योगाचार्य पं. मिलिन्द्र त्रिपाठी (M.Sc yog )
आज भारत सरकार द्वारा किये गए प्रयास से पूरे विश्व के 200 से अधिक देश योग को अपना चुके है ओर इनमें से 47 देश इस्लामिक देश है तो फिर यही भारत सरकार पूरे देश मे योग को अनिवार्य शिक्षा के रूप में क्यो लागू नही कर रही ? हमारे देश मे
हाईस्कूल ,हायर सेकेंडरी के परीक्षा परिणाम आने के बाद अनेकों बच्चों के सुडाइड करने की खबर से मन बैचेन हो उठता है । बच्चों को नम्बर में खेल में धकेल दिया जाता है । जैसे बच्चों के लिए गणित ,विज्ञान ,अंग्रेजी ,समाजिक विज्ञान ,हिंदी में पास होना अनिवार्य है ठीक उसी तरह योग भी अनिवार्य विषय के रूप में लागू किया जाए । जब बच्चों को परीक्षा में अंकसूची के अंक प्रतिशत तय करें तब योग के नम्बर भी जोड़े जाए जिससे बच्चे रुचि से योग को पढ़ेंगे ओर एक बार बच्चे योग को पढ़ने लगे तो संस्कार अपने आप बच्चों में समाहित हो जायेगे । जिससे उनका मन पढ़ाई में भी एकाग्र हो सकेगा ।
विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास के लिए योग की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए। योग बच्चों में सकारात्मक सोच विकसित करने के साथ तनावमुक्त रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
। योगासन बच्चों में एकाकीपन की कमी को दूर करता है।योग से बच्चों के मन-मस्तिष्क में स्थिरता आती है और वे अपनी पढाई में भी ध्यान केंद्रित कर सकते है । योग के चमत्कार को तो पूरी दुनिया ने स्वीकार किया हैं इसी वजह से दुनिया के विभिन्न देशों में योग शिक्षा को अनिवार्य किया गया है । योग के प्रभाव को देखते हुए आज चिकित्सक एवं वैज्ञानिक योग के अभ्यास की सलाह देते हैं ।छात्र जीवन के लिए तो योग बहुत ही आवश्यक है । योग अनुशासन के लिए भी बच्चों को स्वप्रेरित करता है । इससे उनकी दिनचर्या में भी सुधार होता है । स्वस्थ्य शरीर मे ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है योग से शरीर भी स्वस्थ होता है तथा मस्तिष्क को भी शांति मिलती है । यह बच्चों को तनाव से भी बचाता है । यह बच्चों के शारिरिक विकास में भी मदद करता है तथा उन्हें भोजन का उचित पोषण भी प्रदान करता है । एक ही टीचर की क्लास के 40 विद्यार्थियों मे से कुछ प्रथम श्रेणी में आते है बाकी क्यो पीछे रह जाते है । लोग कहते है उनका मन पढ़ाई में नही लगता तो आखिर इस मन को कैसे नियंत्रित किया जाए इसे नियंत्रित करने के लिए योग ही सबसे कारगर उपाय है ।
योग में शारीरिक व मानसिक दोनों पक्षों पर जोर देना जरूरी है ।आसन शरीर की शुद्धी और मन की शुद्धी के लिए जरूरी है । योग विद्यार्थियों के मन और मस्तिष्क को स्थिर रखता है और उन्हें बिमारियों से बचाने में मदद करता है, जिसके चलते विद्यार्थी स्वस्थ जीवनशैली जीते है । योग देश मे बेरोजगारी को भी दूर कर सकता है बच्चे इसमें अपना कैरियर भी बना सकते है । दवाइयों पर बहुत अधिक पैसा खर्च होता है यदि योग का प्रचार प्रसार घर घर तक हो जाये तो अनेकों बीमारियों से हमारे परिवारों को बचाया जा सकता है । केवल एक दिन योग करने से लाभ नही होगा जैसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर देशभर में योग अभ्यास किया गया, लेकिन अभी भी अधिकांश लोग योग से दूर हैं । लोगों का कहना है कि स्वस्थ शरीर के लिए योग जरूरी है, लेकिन दक्ष ट्रेनर की कमी और योग के लिए ट्रेनिंग सेंटर नहीं होने से योग में रुचि रखने वालों की परेशानी बढ़ जाती है । यहां तक कि सरकार ने अभी तक स्कूलों में योग शिक्षकों की भर्ती तक नही की है जिनके पास योग में दक्षता है उन्हें उचित मंच न मिल पाने से वे भी दुखी है । सरकार यदि हर ग्राम पंचायत में एक योग सेंटर की शुरुआत कर दें तो देश के नागरिकों को अनेकों लाभ मिलेंगे । यह युवाओं में आ रही आपराधिक प्रवृत्तियों पर भी रोक लगाने में सहायक है । जिस तरह से सरकार ने स्कूलों में मिड डे मील शुरू किया है, उसी तरह योग की कक्षाएं भी शुरू करे जिससे बच्चों में योग के प्रति रुचि बढ़े । शहर में जिम की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन योग के लिए ट्रेनिंग सेंटर का अभाव है । सरकार को इस दिशा में बड़े कदम उठाने चाहिए । देश की सरकार योग को बढ़ावा देने का कार्य भी कर रही है लेकिन इसे जमीनी स्तर पर लागू करने की बेहद आवश्यकता है । सिर्फ दिखावे के लिए योग करने से कोई फायदा नहीं होगा । इसकी शुरुआत स्कूलों से होनी चाहिए, ताकि बच्चों में यह आदत बन जाये ओर भारत का आने वाला भविष्य रोग मुक्त ओर स्वस्थ्य एवं मजबूत बन सकें । हमारे पड़ोसी देश नेपाल से हमे कुछ सीखने की जरूरत है ।नेपाल की सरकार स्कूली बच्चों में स्वस्थ जीवन शैली के लिए योग को बढ़ावा देने जा रही है। इसके लिए स्कूलों में योग शिक्षा अनिवार्य करने की तैयारी की गई है। योग को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। अगले सत्र से इसकी शुरुआत की जाएगी। अगले सत्र तक उम्मीद करते है भारत मे भी यह खुशखबरी प्राप्त हो । भारत मे भी उत्तरप्रदेश के अंदर सरकार ने योग शिक्षा को अनिवार्य करने का प्रयास किया है यूपी के करीब 1.5 लाख सरकारी प्राइमरी स्कूल के करीब डेढ़ करोड़ बच्चे अब सुबह की प्रार्थना के साथ ही योग भी करेंगे।
हाईस्कूल ,हायर सेकेंडरी के परीक्षा परिणाम आने के बाद अनेकों बच्चों के सुडाइड करने की खबर से मन बैचेन हो उठता है । बच्चों को नम्बर में खेल में धकेल दिया जाता है । जैसे बच्चों के लिए गणित ,विज्ञान ,अंग्रेजी ,समाजिक विज्ञान ,हिंदी में पास होना अनिवार्य है ठीक उसी तरह योग भी अनिवार्य विषय के रूप में लागू किया जाए । जब बच्चों को परीक्षा में अंकसूची के अंक प्रतिशत तय करें तब योग के नम्बर भी जोड़े जाए जिससे बच्चे रुचि से योग को पढ़ेंगे ओर एक बार बच्चे योग को पढ़ने लगे तो संस्कार अपने आप बच्चों में समाहित हो जायेगे । जिससे उनका मन पढ़ाई में भी एकाग्र हो सकेगा ।
विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास के लिए योग की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए। योग बच्चों में सकारात्मक सोच विकसित करने के साथ तनावमुक्त रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
। योगासन बच्चों में एकाकीपन की कमी को दूर करता है।योग से बच्चों के मन-मस्तिष्क में स्थिरता आती है और वे अपनी पढाई में भी ध्यान केंद्रित कर सकते है । योग के चमत्कार को तो पूरी दुनिया ने स्वीकार किया हैं इसी वजह से दुनिया के विभिन्न देशों में योग शिक्षा को अनिवार्य किया गया है । योग के प्रभाव को देखते हुए आज चिकित्सक एवं वैज्ञानिक योग के अभ्यास की सलाह देते हैं ।छात्र जीवन के लिए तो योग बहुत ही आवश्यक है । योग अनुशासन के लिए भी बच्चों को स्वप्रेरित करता है । इससे उनकी दिनचर्या में भी सुधार होता है । स्वस्थ्य शरीर मे ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है योग से शरीर भी स्वस्थ होता है तथा मस्तिष्क को भी शांति मिलती है । यह बच्चों को तनाव से भी बचाता है । यह बच्चों के शारिरिक विकास में भी मदद करता है तथा उन्हें भोजन का उचित पोषण भी प्रदान करता है । एक ही टीचर की क्लास के 40 विद्यार्थियों मे से कुछ प्रथम श्रेणी में आते है बाकी क्यो पीछे रह जाते है । लोग कहते है उनका मन पढ़ाई में नही लगता तो आखिर इस मन को कैसे नियंत्रित किया जाए इसे नियंत्रित करने के लिए योग ही सबसे कारगर उपाय है ।
योग में शारीरिक व मानसिक दोनों पक्षों पर जोर देना जरूरी है ।आसन शरीर की शुद्धी और मन की शुद्धी के लिए जरूरी है । योग विद्यार्थियों के मन और मस्तिष्क को स्थिर रखता है और उन्हें बिमारियों से बचाने में मदद करता है, जिसके चलते विद्यार्थी स्वस्थ जीवनशैली जीते है । योग देश मे बेरोजगारी को भी दूर कर सकता है बच्चे इसमें अपना कैरियर भी बना सकते है । दवाइयों पर बहुत अधिक पैसा खर्च होता है यदि योग का प्रचार प्रसार घर घर तक हो जाये तो अनेकों बीमारियों से हमारे परिवारों को बचाया जा सकता है । केवल एक दिन योग करने से लाभ नही होगा जैसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) पर देशभर में योग अभ्यास किया गया, लेकिन अभी भी अधिकांश लोग योग से दूर हैं । लोगों का कहना है कि स्वस्थ शरीर के लिए योग जरूरी है, लेकिन दक्ष ट्रेनर की कमी और योग के लिए ट्रेनिंग सेंटर नहीं होने से योग में रुचि रखने वालों की परेशानी बढ़ जाती है । यहां तक कि सरकार ने अभी तक स्कूलों में योग शिक्षकों की भर्ती तक नही की है जिनके पास योग में दक्षता है उन्हें उचित मंच न मिल पाने से वे भी दुखी है । सरकार यदि हर ग्राम पंचायत में एक योग सेंटर की शुरुआत कर दें तो देश के नागरिकों को अनेकों लाभ मिलेंगे । यह युवाओं में आ रही आपराधिक प्रवृत्तियों पर भी रोक लगाने में सहायक है । जिस तरह से सरकार ने स्कूलों में मिड डे मील शुरू किया है, उसी तरह योग की कक्षाएं भी शुरू करे जिससे बच्चों में योग के प्रति रुचि बढ़े । शहर में जिम की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन योग के लिए ट्रेनिंग सेंटर का अभाव है । सरकार को इस दिशा में बड़े कदम उठाने चाहिए । देश की सरकार योग को बढ़ावा देने का कार्य भी कर रही है लेकिन इसे जमीनी स्तर पर लागू करने की बेहद आवश्यकता है । सिर्फ दिखावे के लिए योग करने से कोई फायदा नहीं होगा । इसकी शुरुआत स्कूलों से होनी चाहिए, ताकि बच्चों में यह आदत बन जाये ओर भारत का आने वाला भविष्य रोग मुक्त ओर स्वस्थ्य एवं मजबूत बन सकें । हमारे पड़ोसी देश नेपाल से हमे कुछ सीखने की जरूरत है ।नेपाल की सरकार स्कूली बच्चों में स्वस्थ जीवन शैली के लिए योग को बढ़ावा देने जा रही है। इसके लिए स्कूलों में योग शिक्षा अनिवार्य करने की तैयारी की गई है। योग को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। अगले सत्र से इसकी शुरुआत की जाएगी। अगले सत्र तक उम्मीद करते है भारत मे भी यह खुशखबरी प्राप्त हो । भारत मे भी उत्तरप्रदेश के अंदर सरकार ने योग शिक्षा को अनिवार्य करने का प्रयास किया है यूपी के करीब 1.5 लाख सरकारी प्राइमरी स्कूल के करीब डेढ़ करोड़ बच्चे अब सुबह की प्रार्थना के साथ ही योग भी करेंगे।
लेखक योगाचार्य पं. मिलिन्द्र त्रिपाठी (M.Sc yog )