गलत विधि से किया गया प्राणायाम आपके स्वास्थ्य के लिए घातक है -: लेखक योगाचार्य पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी (M.Sc. Yog )
गलत विधि से किया गया प्राणायाम आपके स्वास्थ्य के लिए घातक है -:
लेखक योगाचार्य पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी (M.Sc. Yog )
प्राणायाम के लाभ से आज कोई भी अछूता नही है । प्राचीन समय से ही भारत मे प्राणायाम का उपयोग किया जा रहा है ।प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है प्राण और आयाम। प्राण का मतलब जीवनी शक्ति और आयाम मतलब विकास , फैलाव या बढ़ोतरी। अर्थात यह प्राणशक्ति या जीवन शक्ति को बढ़ाने की योगिक प्रक्रिया है।प्राणायाम से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। इसके अभ्यास से फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है जिसके कारण ऑक्सीजन अधिक मिलती है जो रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में पहुंचती है। रक्त द्वारा उचित मात्रा में ली गई ऑक्सीजन से प्रत्येक अंग स्वस्थ होता है। प्रत्येक अंग की कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने से उनकी कार्य क्षमता बढ़ती है; विशेषकर हृदय की जो एक दिन में लगभग एक लाख बार धड़कता है। हृदय की मांसपेशियों को प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन मिलने से हृदय स्वस्थ बना रहता है जिससे शरीर में रक्त का संचार सही बना रहता है।मगर आज भी सबसे बड़ी समस्या है योग अथवा प्राणायाम करने में योग्य गुरु का अभाव। इसकी वजह से लोग गलत तरीके से योग और प्राणायाम करते हैं जो कि शरीर को लाभ पहुंचाने की जगह पर नुकसान पहुंचाता है। आज के दौर में भी घर घर मे प्राणायाम किया जाता है लेकिन मेने ऐसे कई लोगो को देखा है जो प्राणायाम करने के बाद ओर अधिक बीमार हुए है इसमें दोष प्राणायाम का नही बल्कि करने वाले का है लेकिन कोसने वाले तो प्राणायाम को ही कोसते है । केवल टीवी में देखकर या किसी वीडियो को देखकर लोग प्राणायाम करने लगते है लेकिन मानव स्वभाव है कि स्वयं की गलती किसी को दिखाई नही पड़ती चुकी एकांत में व्यक्ति लगातार गलत
प्राणायाम करता रहता है और उसके विपरीत प्रभाव के कारण जब बहुत परेशानी में घिर जाता है जब मजबूरन किसी जानकार से सलाह लेता है । जैसे अनेकों हाई बीपी वालो को मैने कपाल भाती करते देखा जबकि उनके लिए यह लाभ की जगह हानि पहुंचाएगा । आप यदि किसी बीमारी से पीड़ित है तो हर प्राणायाम आपके लिए नही है । अलग अलग बीमारियों में अलग अलग प्राणायाम का लाभ होता है । दूसरा जब आम जन अग्निसार करते है तो पेट को बहुत अधिक झटके से अंदर बाहर करते है ऐसे में पेट को लाभ की जगह भारी हानि होती है । एक बार गलत करना और नियमित उसे गलत ढंग से ही निरन्तर करते रहने से आपकीं बीमारी बढ़ सकती है । इसी तरह गहरी सांस लेने का अभिप्राय लोग आवाज वाली जोर से सांस से लगाते है जबकि गहरी सांस का अर्थ है बिना किसी आवाज के धीरे धीरे साँसों को लेना । इसमें भी दृष्टिकोण का दोष है लोग टीवी पर जिन्हें देखते है उनकी नकल करने की कोशिश करते है जबकि यह भूल जाते है टीवी में करने वाले बाबा के सामने माइक लगा होता है जिस कारण साँसों की आवाज इतनी तेज आती है । वही कुछ अनजान तत्व यू ट्यूब पर प्राणायाम के गलत वीडियो डाल देते है जिनसे सीखने वाले भी गलत ही करने लगते है इसका दुष्परिणाम वीडियो डालने वाले को न होकर देखकर करने वाले को अधिक होता है । दिमाग की स्थिति और साँस का आपस में गहरा सम्बन्ध होता है। तनाव की स्थिति में साँस अनियंत्रित हो जाती है और जब दिमाग शांत होता है या खुश होते हैं तब साँस की गति नियमित रहती है। साँस की गति को नियमित करने से दिमाग को शांत किया जा सकता है। प्राणायाम के बारे में आगे अन्य लेखों में विस्तार से चर्चा करूँगा लेकिन आज बात करते है सावधानियों की -:
★सुबह का समय जब हवा शुद्ध होती है तब प्राणायाम करना श्रेष्ठ होता है।
★ वस्त्र आरामदायक पहनने चाहिए।
★ प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए। कुछ तरल पदार्थ लिया हो तो एक घंटे बाद और नाश्ता आदि लिया हो तो 2 घंटे बाद ही प्राणायाम करना चाहिए।
★प्राणायाम करते समय मुँह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
★मुँह बंद रहना चाहिए। मुँह से हवा बिल्कुल अंदर बाहर नहीं होनी चाहिए।
★प्राणायाम करने के तुरंत बाद नहाना नहीं चाहिए। एक घंटे बाद नहा सकते हैं। नहाने के आधे घंटे बाद यह कर सकते हैं।
★अगर आपका पेट साफ न हो ,अगर पेट में बहुत गैस हो या हर्निया (hernia) या अपेण्डिस्क (appendicitis) का दर्द हो या आपने 6 महीने के अंदर पेट या हार्ट का ऑपरेशन (HEART BYPASS OPERATION or SURGERY) करवाया हो तो प्राणायाम बिल्कुल न करे।
★ प्राणायाम करते समय रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी रखे और चेहरे को ठीक सामने रखे (कुछ लोग चेहरे को सामने करने के चक्कर में या तो चेहरे को ऊपर उठा देते है या जमींन की तरफ झुका देते है जो की गलत है)
★समतल भूमि पर कोई ऊनी कम्बल या सूती चादर बिछाकर ही प्राणायाम करे एवं मौसमानुसार ढीले वस्त्र पहनना चाहिए (बिना आसान की जमींन पर बैठ कर प्राणायाम ना करे और प्राणायाम के 2 मिनट बाद ही जमींन पर पैर रखे) ।
★आप प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट प्राणायाम जरूर करें ।
★ प्राणायाम का समय धीरे – धीरे बढ़ाना चाहिए ना कि पहले ही दिन से 15 मिनट प्राणायाम शुरू कर देना चाहिए अन्यथा गर्दन की नली में खिचाव या कोई अन्य समस्या पैदा होने का डर रहता है।
★सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन किसी भी आसन में बैठें, मगर जिसमें आप अधिक देर बैठ सकते हैं, उसी आसन में बैठें।
★ प्राणायाम करते समय हमारे शरीर में कहीं भी किसी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिए, यदि तनाव में प्राणायाम करेंगे तो उसका लाभ नहीं मिलेगा।
★ प्राणायाम करते समय अपनी शक्ति का अतिक्रमण ना करें।
★ह्र साँस का आना जाना बिलकुल आराम से होना चाहिए।
★जिन लोगो को उच्च रक्त-चाप या हार्ट की शिकायत है, उन्हें अपना रक्त-चाप साधारण होने के बाद धीमी गति से प्राणायाम शुरू करना चाहिये।
★यदि किसी भी तरह का ऑपरेशन हुआ हो तो, छः महीने बाद ही प्राणायाम का धीरे धीरे अभ्यास करें।
★हर साँस के आने जाने के साथ मन ही मन में ओम् का जाप करने से आपको आध्यात्मिक एवं शारीरिक लाभ मिलेगा और प्राणायाम का लाभ दुगुना होगा।
★साँसे लेते समय मन ही मन भगवान से प्रार्थना करनी है कि “हमारे शरीर के सारे रोग शरीर से बाहर निकाल दें और हमारे शरीर में सारे ब्रह्मांड की सारी ऊर्जा, ओज, तेजस्विता हमारे शरीर में डाल दें”।
★ऐसा नहीं है कि केवल बीमार लोगों को ही प्राणायाम करना चाहिए, यदि बीमार नहीं भी हैं तो सदा निरोगी रहने की प्रार्थना के साथ प्राणायाम करें।
★प्राणायाम शौच क्रिया एवं स्नान से निवृत्त होने के बाद ही किया जाना चाहिए या एक घंटे पश्चात स्नान करें।
★ प्राणायाम खुले एवं हवादार कमरे में करना चाहिए, ताकि श्वास के साथ आप स्वतंत्र रूप से शुद्ध वायु ले सकें। अभ्यास आप बाहर भी कर सकते हैं, परन्तु आस-पास वातावरण शुद्ध तथा मौसम सुहावना हो।
★ प्राणायाम करते समय अनावश्यक जोर न लगाएँ। यद्धपि प्रारम्भ में आप अपनी माँसपेशियों को कड़ी पाएँगे, लेकिन कुछ ही सप्ताह के नियमित अभ्यास से शरीर लचीला हो जाता है। प्राणायाम को आसानी से करें, कठिनाई से नहीं। उनके साथ ज्यादती न करें।
★ मासिक धर्म, गर्भावस्था, बुखार, गंभीर रोग (menstruation, pregnancy, fever, sickness) आदि के दौरान प्राणायाम न करें।
★ प्राणायाम करने वाले को सम्यक आहार अर्थात भोजन प्राकृतिक और उतना ही लेना चाहिए जितना कि पचने में आसानी हो।
★ प्राणायाम के प्रारंभ और अंत में विश्राम करें।
★ यदि प्राणायाम को करने के दौरान किसी अंग में अत्यधिक पीड़ा होती है तो किसी योग चिकित्सक से सलाह लेकर ही प्राणायाम करें।
★प्राणायाम प्रारम्भ करने के पूर्व अंग-संचालन करना आवश्यक है खासकर गर्दन की। इससे अंगों की जकड़न समाप्त होती है तथा प्राणायाम के लिए शरीर तैयार होता है।
★बुखार , न्यूमोनिया या फेफड़े की बीमारी आदि हो तो प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
★दिमागी बीमारी की अवस्था जैसे अत्यधिक अवसाद , शोक , दुःख , कष्ट आदि हों तो प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
★प्राणायाम करने से शरीर पर होने वाले असर का ध्यान रखना चाहिए। कुछ नुकसान होता दिखाई दे तो इसका अर्थ यह है कि आप सही तरीके से या सही प्रकार का प्राणायाम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।
लेखक योगाचार्य पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी (M.Sc. Yog )