तनाव से मुक्ति के लिए योगासन -:
लेखक योगाचार्य पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी (Msc Yog )
अनियमित दिनचर्या एवं भागदौड़ भरी जिंदगी से आज के दौर में सबसे बड़ी समस्या बनकर जो सामने खड़ा है उसी का नाम है तनाव । मानसिक तनाव के कारण जहां एक ओर मस्तिष्क को नुकसान पहुंच रहा है । साथ ही शरीर को भी बहुत ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है । भाग-दौड़ और काम के चक्कर में लोग इतने प्रेशर और टेंशन में आ जाते हैं कि वे न तो आराम ही कर पाते हैं और न ही खुद के लिए समय निकाल पाते हैं। नतीजा यह होता है कि स्ट्रेस, डिप्रेशन और तनाव उन्हें अपने आगोश में ले लेता है। आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है । स्टेटस मेंटेन करने के नाम पर हम वेबजह के तनाव से स्वयं को ग्रस्त कर लेते है । दुनिया क्या सोच रही है के अज्ञात भय में जीवन जी रहे है । खुलकर जीवन इस लिए नही जी रहे क्योकि खुद को परिपक्व दिखाने की होड़ मची है । आसपास के निवासियों से ,अपने ही रिश्तेदारों से स्वयं की तुलना करना इस मानसिक अशांति को ओर बढ़ा रहा है । ईर्ष्या की प्रवत्ति बुराई करने की मनोदशा से मानसिक तनाव का स्तर और ऊंचा हुआ है । रही सही कसर सोशल मीडिया ने भी पूरी कर दी है अपनी पोस्ट को बार बार चेक करना उसपर कितने लाइक आये है या कमेंट आये है यहां तक कि लोगो ने इस वर्चुअल दुनिया की टेंशन लेना भी शुरू कर दी है । संतोष का भाव समाप्त हो गया है जो है उसमें कोई संतुष्ट नही है जो अपने पास नही है उसकी चाह में दिन रात एक करके पैसा कमाने के पीछे भाग रहा है यह जनाते हुए की कफ़न में जेब नही होती पर फिर भी अपने पूरे शरीर को पैसों के पीछे भाग भागकर इन्शान स्वयं सर्वनाश कर रहा है । बीमारियों का घर बनाकर शरीर को डॉक्टरों के पास ले जाना और जीवन भर की कमाई पूंजी से डॉक्टर की फिसों का भुगतान करना शायद इसी लिए आज के युग का मानव पैसा कमाता है पहले खूब पैसा कमाओ फिर डॉक्टर की तिजोरियां भर दो । भूखे प्यासे पैसों के पीछे भागो ओर अंत मे सारा पैसा उठाकर दवाई वालो को दे आओ । तनाव प्रबन्धन के लिए दवाई का सहारा लेने की जगह आप योग का सहारा लीजिये । एक मात्र यही समाधान है जो जड़ से समस्या को खत्म करता है ।
तनाव के लक्षण क्या है -: असामान्य रूप से घबराहट या बेचैनी महसूस करना तथा किसी प्रकार का भय न होते हुए भी प्रतीत होना । किसी तरह की घटना घटित हो जाने पर उससे सम्बंधित विचारों का न चाहकर भी बार बार याद आना ,ऐसे विचारों से परेशान होना । रात में सोते समय बुरे सपने देख लेने की वजह से जाग जाना। फिर रात भर नींद न आना । नियमित अनिंद्रा से परेशान रहना ।दिल की धड़कन का बार बार बढ़ जाना। असामान्य रूप से छोटे छोटे तनाव से हाथ पेरो में पसीना आना ।
बिगड़ती सेहत को रोकने के लिए जरूरी है दिमाग को शांत रखना जरूरी है । ऐसे में आपकीं मदद करेंगे निम्न योगासन -:
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार चिंता, भय और तनाव से मुक्त होने का सबसे असरदार, आसान और बेहतरीन तरीका योग है। इससे शरीर स्वस्थ होता है, बल्कि नियमित योग करने से तनाव सम्बंधित हॉर्मोन्स भी नियंत्रित रहते है। उनके अनुसार, योग आहार सम्बन्धी समस्या जैसे मधुमेह, उच्चरक्तचाप, कोलेस्ट्रोल और मोटापा आदि को दूर करने में बहुत प्रभावी भूमिका निभाता है ।
अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम-विलोम करने का चरणबद्ध तरीका :
●किसी साफ जगह का चुनाव करें और वहां योग मैट या कोई साफ चादर बिछाएं। ध्यान रहे कि अनुलोम-विलोम के लिए दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं हाथ की मध्य उंगली को ही काम में लाया जाएगा।
●अब आपको पद्मासन की मुद्रा में बैठना होगा, यानी बाएं पैर के पंजे को अपने दाईं जांघ पर और दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर रखें। जो पद्मासन की मुद्रा में नहीं बैठ सकते, वो सुखासन मुद्रा में बैठ सकते हैं। वहीं, जिनके लिए जमीन पर बैठना मुश्किल है, वो कुर्सी पर बैठे सकते हैं।
●कमर सीधी रखें और अपनी दोनों आंखें बंद कर लें।
●एक लंबी गहरी सांस लें और धीरे से छोड़ दें। इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।
●इसके बाद अपने दाहिने (Right) हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई (Left) नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
●सांस लेने में जोर न लगाएं, जितना हो सके उतनी गहरी सांस लें।
●अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाई नासिका को बंद करें और दाई नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
●कुछ सेकंड का विराम लेकर दाई नासिका से गहरी सांस लें।
●अब दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
●इस प्रकार अनोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा। आप एक बार में ऐसे पांच से सात चक्र कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को आप रोज करीब 10 मिनट कर सकते हैं।
कपाल भाती प्राणायाम -:
●सर्वप्रथम किसी स्वच्छ जगह का चयन करके, आसन बिछा कर पद्मासन अथवा सुखासन में बैठ जायें। मन को शांत कर के अपनी सांस सामान्य कर लें।
●अब अपने दोनों हाथों को बगल में अपने दोनों कंधों के समांतर फैला लें, और फिर अपनी कोहनियों को मोड़ कर हाथों को अपने कानों के पास ले आयें। फिर अपनें दोनों नेत्रों (आँखों) को बंद कर लें|
●उसके बाद अपने हाथों के दोनों अँगूठों से अपने दोनों कान बंद कर दें। (Note- भ्रामरी प्राणायाम करते वक्त कमर, गरदन और मस्तक स्थिर और सीधे रखने चाहिए)।
●अब अपने दोनों हाथों की पहली उंगली को आँखों की भौहों के थोड़ा सा ऊपर लगा दें। और बाकी की तीन तीन उँगलियाँ अपनी आंखों पर लगा दीजिये।
●अपने दोनों हाथों को ना तो अधिक दबाएं और ना ही एक दम फ्री छोड़ दें। अपने नाक के आस-पास दोनों तरफ से लगी हुई तीन-तीन उँगलियों से नाक पर हल्का सा दबाव बनायें।
●दोनों हाथों को सही तरीके से लगा लेने के बाद अपने चित्त (मन) को अपनी दोनों आंखों के बीछ केन्द्रित करें। (यानि की अपना ध्यान अज्न चक्र पर केन्द्रित करें)।
●और अब अपना मुह बिल्कुल बंद रखें और अपने नाक के माध्यम से सामान्य गति से सांस अंदर लें| फिर नाक के माध्यम से ही मधु-मक्खी जैसी आवाज़ (humming sound) करते हुए सांस बाहर निकालें। (Important- यह अभ्यास मुह को पूरी तरह से बंद कर के ही करना है)।
●सांस बाहर निकालते हुए अगर “ॐ” का उच्चारण किया जाए तो इस प्राणायाम का लाभ अधिक बढ़ जाता है।
●सांस अंदर लेने का समय करीब 3-5 सेकंड तक का होना चाहिए और बाहर छोड़ने का समय 15-20 सेकंड तक का होना चाहिए।
●भ्रामरी प्राणायाम कुर्सी(chair) पर बैठ कर भी किया जा सकता है। परंतु यह अभ्यास सुबह के समय में सुखासन या पद्मासन में बैठ कर करने से अधिक लाभ होता है।
योग निंद्रा -: यह सोने एवं जागने के बीच की अवस्था है । यह अति प्राचीन विधि है शवासन में लेटकर धीरे धीरे शरीर के हर एक अंग को तनाव से मुक्त किया जाता है । पुरे शरीर को नवीन ऊर्जा प्राप्त होती है । सबसे पहले साफ स्थान पर चादर बिछाकर पीठ के बल शवासन में लेट जाएं। इसके बाद अपनी आंखें बंद कर लें। फिर गहरी सांस ले और फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़े। शरीर को हिलाना नहीं है, नींद नहीं निकालना, यह एक मनोवैज्ञानिक नींद है, विचारों से जूझना नहीं है।
योग निद्रा कैसे करें -:
सबसे पहले तो एक साफ़ जगह पर दरी बिछाकर उस पर चटाई या कम्बल बिछा ले।योग निद्रा करने के लिए ढीले कपड़े का चुनाव करे।
अब चटाई पर शवासन की स्थिति में लेट जाये। जमीन पर आपके दोनों पैरो के बीच लगभग एक फुट की दूरी होना चाहिए।अपनी आँखे बंद रखे, और हथेली को कमर से छह इंच की दूरी पर रखे ।अब सिर से लेकर पांव तक अपने पूरे शरीर को पूर्णत: शिथिल कर दे ।इस वक्त मन में किसी भी तरह का तनाव ना रखे, सांस लेना व छोड़ना जारी रखें।अब सोचे कि आप के हाथ, पैर, आँखे, गर्दन सभी शिथिल हो गए है ।इसके पश्चात मन में ही खुद से कहे की कि मैं योग निद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूं/ रही हूं। ऐसा आप कम से कम तीन बार दोहराएं साथ ही साथ गहरी सांस छोड़ना तथा लेना जारी रखें।आपको अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों पर ले जाना है और उन्हें तनाव रहित करना है|अपने शरीर को आरामदेह और तनावमुक्त स्तिथि में रखें। ऐसा सोचे की संपूर्ण शरीर से दर्द बाहर निकल रहा है और आप बहुत खुश है। इसके बाद गहरी सांस ले।इसके पश्चात अपने मन को सीधे पैर के अंगूठे पर ले जाइए। आपके पांव की सभी अंगुलियां, पांव का तलवा, एड़ी, साथ ही घुटना, जांघ, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है।
बस इसी तरह आपको अपने बांये पैर को भी शिथिल करना है| सांस को सहजता से लें व छोड़ें।आपको लेटे लेटे पांच बार पूरी सांस लेना व छोड़ना है।
सेतुबंधासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाए।अब अपने घुटनों को मोड़े ताकि यह रीढ़ की हड्डी के 90 डिग्री पर हो।
सांस लेते हुए अपने कमर को सहूलियत के हिसाब से उठाए।
इस अवस्था को 20-30 सेकंड तक बनाये रखें।जब आप आसन धारण करते है तो धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े।फिर सांस छोड़ते हुए ज़मीन पर आये।यह एक चक्र हुआ, आप 3 से 5 बार इसे कर सकते हैं।
बद्ध कोणासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
1. कमर सीधी करके योग मैट पर बैठ जाएं। अपनी टांगों को खोलकर बाहर की तरफ फैलाएं।
2. सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और दोनों एड़ियों को अपने पेट के नीचे की तरफ ले आएं।
3. दोनों एड़ियां एक-दूसरे को छूती रहेंगी। इसके बाद घुटनों को दोनों तरफ नीचे की ओर ले जाएं।
4. दोनों एड़ियों को जितना हो सके पेट के नीचे और करीब ले आएं। इसके बाद अपने अंगूठे और पहली अंगुली की मदद से पैर के बड़े अंगूठे को पकड़ लें। ये पक्का करें कि पैर का बाहरी किनारा हमेशा फर्श को छूता रहे।
5. एक बार आप इस मुद्रा में सहज हो तो एक बार यह जांचें कि क्या आपके प्यूबिस और टेलबोन फर्श से समान दूरी पर हैं। जबकि पेल्विस को सामान्य स्थिति में होना चाहिए और पेरिनम फर्श के समानांतर बना रहे। रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और कंधे पीछे की तरफ खिंचे रहें। इस दौरान सैक्रम या पीठ के पीछे की तिकोनी हड्डी भी मजबूत बनी रहे।
6. हमेशा याद रखें कि कभी भी घुटनों पर जमीन को छूने के लिए दबाव न डालें। लेकिन आप जांघ की हड्डियों पर घुटनों को नीचे करने के लिए हल्का दबाव दे सकते हैं। इससे घुटने अपने आप जमीन की तरफ चले जाएंगे।
7. इस मुद्रा में 1 से 5 मिनट तक बने रहें। इसके बाद सांस खींचते हुए घुटनों को वापस सीने की तरफ लेकर आएं। पैरों को धीरे-धीरे सीधा करें। अब विश्राम करें।
सुखासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
कमर की हड्डी को सीधा कर के बैठें और 60 सेकेंड के लिए सांस खींचें और छोड़ें। इसी पर अपना ध्यान केंद्रित करें। ऐसा करने से मन और दिमाग को शांति मिलती है। शरीर से सारी घबराहट दूर होती है।
मर्जरी आसन :- (चित्र में बताए अनुसार करें )
घुटनों और हाथों के बल बैठ जाएं जैसे शरीर को टेबल बना लिया हो। ध्यान रखें कंधे और हथेली एक सीध में हो, वैसे ही कूल्हे और घुटने भी सीध में रखें। जैसे तस्वीर में दिख रहा है। इससे दिमाग के साथ साथ पूरे शरीर को बहुत फायदा मिलता है।
उत्तान शिशो आसन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
अगर आपको नींद न आने की तकलीफ है तो यह आसन करें। घुटने और हथेली के बल बैठ कर धीरे धीरे अपने हाथों को थोड़ा आगे बढ़ाएं और पैर के अंगूठों को अंदर की तरफ मोड़ लें। सांस छोड़ने पर कूल्हों को पीछे एढ़ियों की तरफ ले जाएं। कोहनी को जमीन से न छूने दें। माथे को नीचे झुका कर गर्दन को आराम दें।
पश्चिमोत्तनासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
जमीन पर बैठ कर पैरों को आगे की तरफ सीधे फैला कर सिर को घुटनों की तरफ ले जाएं। ऐसा करने से शरीर से तनाव और थकान दूर होती है। पाचन प्रकि्रिया भी सुधरती है।
जानू शीर्षासन - (चित्र में बताए अनुसार करें )
पैरों को आगे की तरफ फैला कर, दोनों हाथों से पैर के अंगूठों को छूने की कोशिश करें। फिर एक पैर मोड़ कर दूसरे के साथ ऐसा ही करें। यह सिरदर्द या पीरियड्स के दर्द से भी आराम दिलाता है।
सालांब शीर्षासन :- (चित्र में बताए अनुसार करें )
सिर के बल खड़े हो जाइए औऱ शरीर को पूरा भार गर्दन या सिर पर डालने के बजाए कंधों और हाथों पर डालिए। शरीर में खून का बहाव उलट जाता है। यह तनाव को दूर करने और अपनी सांसों पर ध्यान लगाने में मदद करता है।
बालासन :- (चित्र में बताए अनुसार करें )
घुटने के बल बैठिए और अपने हाथों को आगे की तरफ फैलाइये। ऐसा करते समय शरीर को भी आगे की तरफ झुकाइये। सिर को जमीन से लगा कर आराम दीजिए।
मलासन - (चित्र में बताए अनुसार करें )
मलासन करने के लिए सर्वप्रथम दोनों घुटनों को मोड़ ले और मल त्याग करने वाली अवस्था में बैठ जाएं ।अपनी दाये हाथ की कांख को दाये घुटने पर टिकाये और बाये हाथ की कांख को बाये घुटने पर टिकाये ।चित्र में दिखाए अनुसार अपने हाथो से नमस्कार की मुद्रा बनाये ।अब धीरे-धीरे सांस ले और छोड़े, आपको कुछ देर इसी अवस्था में बैठे रहना है ।उपरोक्त स्थिति में कुछ देर तक रहे फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।धीरे धीरे इस मुद्रा को करने का समय बढ़ाये ।
हलासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
पीठ के बल लेटें। बाजू शरीर के पास रहेंगे। हथेलियां ऊपर की ओर इंगित करेंगी। पूरक करते हुए टांगों, नितम्बों और धड़ को सर्वांगासन की तरह ऊपर उठायें। रेचक करते हुए टांगों को सीधा रखें और उनको सिर के पीछे नीचे ले आयें। पंजों के पोर फर्श को और ठोडी छाती को छूती है। सामान्य श्वास के साथ इस मुद्रा में सुविधापूर्वक जितनी देर रह सकें, ठहरें। पूरक करते हुए दोनों टांगों को सर्वांगासन में ऊपर उठायें। धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए प्रारम्भिक स्थिति में लौट आयें।
सर्वांगासन - (चित्र में बताए अनुसार करें )
इस आसन का अभ्यास करने के लिए सर्वप्रथम चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
सर्वांगासन का अभ्यास करने के लिए हवादार जगह का चुनाव करना अच्छा होगा ।जब आप लेटेंगे अपने दोनो पैरों को मिलाकर रखे तथा पूरे शरीर को सीधा तान कर रखें।अब अन्दर की और धीरे-धीरे सांस ले और पैरों को ऊपर की और उठाएं ।इस क्रिया में पहले पैरों को ऊपर उठाएं, फिर कमर को, इसके पश्चात अपने छाती तक के भाग को ऊपर की और उठाये ।इस क्रिया को करते वक्त पैरों को सीधा रखें, अपने घुटनों को मौड़े नहीं ।आप अपनी कमर को सहारा देने के लिए अपने दोनों हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर पर लगाकर इसे सहारा दे ।इस आसन में शरीर का पूरा भार कंधों पर रहता है| इसलिए इस स्तिथि में आपके कंधे से कोहनी तक के भाग को जमीन से सटाकर रखें ।जब आप ऐसा करेंगे तब आपकी थोड़ी आपकी छाती से सटी हुयी होगी। अब पैरों को तान कर ऊपर की और खिचे, तथा शरीर को स्थिर करते हुए कुछ सेकंड्स इसी स्तिथि में बने रहे ।इस अवस्था में आपको सामान्य रूप से सांस लेना और छोड़ना है|
जब आपको इसकी अच्छी प्रैक्टिस हो जाये तक आसन के अभ्यास का समय बढ़ाकर आप 3 मिनट तक का कर सकते है ।अब सामान्य अवस्था में आने के लिए शरीर को ढीला छोड़ दे, और घुटनों को मोड़कर आराम से सामान्य अवस्था में आये ।इसके बाद 20 सैकेंड तक आराम करें।इस क्रिया को 3 से 4 बार करे ।
आराम से जमीन पर लेट कर चहरा सीधा और ऊपर की तरफ रखें। हाथों को शरीर से लगा कर सीधा रखें और हथेलियों को खुला और छत की तरफ मुंह करता हुआ रखें। इस मुद्रा में पांच मिनट तक रहें। कुछ मिनटों के लिए शरीर को पूरी तरह से शांत रखने से लंबे समय तक की शांति मिलती है।
डिस्क्लेमर: इन आसनों को आप किसी योग एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें। लेकिन उससे पहले अपनी मेडिकल जांच करवा लें। अगर ब्लड प्रेशर या हार्ट संबंधी कोई बीमारी हो तो फिर इन आसनों को न करें या फिर डॉक्टर से जरूर सलाह ले लें।
लेखक योगाचार्य पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी (Msc Yog )
लेखक योगाचार्य पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी (Msc Yog )
अनियमित दिनचर्या एवं भागदौड़ भरी जिंदगी से आज के दौर में सबसे बड़ी समस्या बनकर जो सामने खड़ा है उसी का नाम है तनाव । मानसिक तनाव के कारण जहां एक ओर मस्तिष्क को नुकसान पहुंच रहा है । साथ ही शरीर को भी बहुत ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है । भाग-दौड़ और काम के चक्कर में लोग इतने प्रेशर और टेंशन में आ जाते हैं कि वे न तो आराम ही कर पाते हैं और न ही खुद के लिए समय निकाल पाते हैं। नतीजा यह होता है कि स्ट्रेस, डिप्रेशन और तनाव उन्हें अपने आगोश में ले लेता है। आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है । स्टेटस मेंटेन करने के नाम पर हम वेबजह के तनाव से स्वयं को ग्रस्त कर लेते है । दुनिया क्या सोच रही है के अज्ञात भय में जीवन जी रहे है । खुलकर जीवन इस लिए नही जी रहे क्योकि खुद को परिपक्व दिखाने की होड़ मची है । आसपास के निवासियों से ,अपने ही रिश्तेदारों से स्वयं की तुलना करना इस मानसिक अशांति को ओर बढ़ा रहा है । ईर्ष्या की प्रवत्ति बुराई करने की मनोदशा से मानसिक तनाव का स्तर और ऊंचा हुआ है । रही सही कसर सोशल मीडिया ने भी पूरी कर दी है अपनी पोस्ट को बार बार चेक करना उसपर कितने लाइक आये है या कमेंट आये है यहां तक कि लोगो ने इस वर्चुअल दुनिया की टेंशन लेना भी शुरू कर दी है । संतोष का भाव समाप्त हो गया है जो है उसमें कोई संतुष्ट नही है जो अपने पास नही है उसकी चाह में दिन रात एक करके पैसा कमाने के पीछे भाग रहा है यह जनाते हुए की कफ़न में जेब नही होती पर फिर भी अपने पूरे शरीर को पैसों के पीछे भाग भागकर इन्शान स्वयं सर्वनाश कर रहा है । बीमारियों का घर बनाकर शरीर को डॉक्टरों के पास ले जाना और जीवन भर की कमाई पूंजी से डॉक्टर की फिसों का भुगतान करना शायद इसी लिए आज के युग का मानव पैसा कमाता है पहले खूब पैसा कमाओ फिर डॉक्टर की तिजोरियां भर दो । भूखे प्यासे पैसों के पीछे भागो ओर अंत मे सारा पैसा उठाकर दवाई वालो को दे आओ । तनाव प्रबन्धन के लिए दवाई का सहारा लेने की जगह आप योग का सहारा लीजिये । एक मात्र यही समाधान है जो जड़ से समस्या को खत्म करता है ।
तनाव के लक्षण क्या है -: असामान्य रूप से घबराहट या बेचैनी महसूस करना तथा किसी प्रकार का भय न होते हुए भी प्रतीत होना । किसी तरह की घटना घटित हो जाने पर उससे सम्बंधित विचारों का न चाहकर भी बार बार याद आना ,ऐसे विचारों से परेशान होना । रात में सोते समय बुरे सपने देख लेने की वजह से जाग जाना। फिर रात भर नींद न आना । नियमित अनिंद्रा से परेशान रहना ।दिल की धड़कन का बार बार बढ़ जाना। असामान्य रूप से छोटे छोटे तनाव से हाथ पेरो में पसीना आना ।
बिगड़ती सेहत को रोकने के लिए जरूरी है दिमाग को शांत रखना जरूरी है । ऐसे में आपकीं मदद करेंगे निम्न योगासन -:
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार चिंता, भय और तनाव से मुक्त होने का सबसे असरदार, आसान और बेहतरीन तरीका योग है। इससे शरीर स्वस्थ होता है, बल्कि नियमित योग करने से तनाव सम्बंधित हॉर्मोन्स भी नियंत्रित रहते है। उनके अनुसार, योग आहार सम्बन्धी समस्या जैसे मधुमेह, उच्चरक्तचाप, कोलेस्ट्रोल और मोटापा आदि को दूर करने में बहुत प्रभावी भूमिका निभाता है ।
अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम-विलोम करने का चरणबद्ध तरीका :
●किसी साफ जगह का चुनाव करें और वहां योग मैट या कोई साफ चादर बिछाएं। ध्यान रहे कि अनुलोम-विलोम के लिए दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं हाथ की मध्य उंगली को ही काम में लाया जाएगा।
●अब आपको पद्मासन की मुद्रा में बैठना होगा, यानी बाएं पैर के पंजे को अपने दाईं जांघ पर और दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर रखें। जो पद्मासन की मुद्रा में नहीं बैठ सकते, वो सुखासन मुद्रा में बैठ सकते हैं। वहीं, जिनके लिए जमीन पर बैठना मुश्किल है, वो कुर्सी पर बैठे सकते हैं।
●कमर सीधी रखें और अपनी दोनों आंखें बंद कर लें।
●एक लंबी गहरी सांस लें और धीरे से छोड़ दें। इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।
●इसके बाद अपने दाहिने (Right) हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई (Left) नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
●सांस लेने में जोर न लगाएं, जितना हो सके उतनी गहरी सांस लें।
●अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाई नासिका को बंद करें और दाई नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
●कुछ सेकंड का विराम लेकर दाई नासिका से गहरी सांस लें।
●अब दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
●इस प्रकार अनोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा। आप एक बार में ऐसे पांच से सात चक्र कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को आप रोज करीब 10 मिनट कर सकते हैं।
कपाल भाती प्राणायाम -:
कपालभाति प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं और अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखें। अपनी हथेलियों की सहायता से घुटनों को पकड़कर शरीर को एकदम सीधा रखें। अब अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करते हुए सामान्य से कुछ अधिक गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को फुलाएं। इसके बाद झटके से सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खिंचे। जैसे ही आप अपने पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हैं, सांस अपने आप ही फेफड़ों में पहुंच जाती है। कपालभाति प्राणायाम को करते हुए इस बात का ध्यान रखें की आपके द्वारा ली गई हवा एक ही झटके में बाहर आ जाए। इस प्राणायाम को करते समय आपको यह सोचना है कि आपके सारे नकारात्मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं।
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम
●सर्वप्रथम किसी स्वच्छ जगह का चयन करके, आसन बिछा कर पद्मासन अथवा सुखासन में बैठ जायें। मन को शांत कर के अपनी सांस सामान्य कर लें।
●अब अपने दोनों हाथों को बगल में अपने दोनों कंधों के समांतर फैला लें, और फिर अपनी कोहनियों को मोड़ कर हाथों को अपने कानों के पास ले आयें। फिर अपनें दोनों नेत्रों (आँखों) को बंद कर लें|
●उसके बाद अपने हाथों के दोनों अँगूठों से अपने दोनों कान बंद कर दें। (Note- भ्रामरी प्राणायाम करते वक्त कमर, गरदन और मस्तक स्थिर और सीधे रखने चाहिए)।
●अब अपने दोनों हाथों की पहली उंगली को आँखों की भौहों के थोड़ा सा ऊपर लगा दें। और बाकी की तीन तीन उँगलियाँ अपनी आंखों पर लगा दीजिये।
●अपने दोनों हाथों को ना तो अधिक दबाएं और ना ही एक दम फ्री छोड़ दें। अपने नाक के आस-पास दोनों तरफ से लगी हुई तीन-तीन उँगलियों से नाक पर हल्का सा दबाव बनायें।
●दोनों हाथों को सही तरीके से लगा लेने के बाद अपने चित्त (मन) को अपनी दोनों आंखों के बीछ केन्द्रित करें। (यानि की अपना ध्यान अज्न चक्र पर केन्द्रित करें)।
●और अब अपना मुह बिल्कुल बंद रखें और अपने नाक के माध्यम से सामान्य गति से सांस अंदर लें| फिर नाक के माध्यम से ही मधु-मक्खी जैसी आवाज़ (humming sound) करते हुए सांस बाहर निकालें। (Important- यह अभ्यास मुह को पूरी तरह से बंद कर के ही करना है)।
●सांस बाहर निकालते हुए अगर “ॐ” का उच्चारण किया जाए तो इस प्राणायाम का लाभ अधिक बढ़ जाता है।
●सांस अंदर लेने का समय करीब 3-5 सेकंड तक का होना चाहिए और बाहर छोड़ने का समय 15-20 सेकंड तक का होना चाहिए।
●भ्रामरी प्राणायाम कुर्सी(chair) पर बैठ कर भी किया जा सकता है। परंतु यह अभ्यास सुबह के समय में सुखासन या पद्मासन में बैठ कर करने से अधिक लाभ होता है।
योग निंद्रा -: यह सोने एवं जागने के बीच की अवस्था है । यह अति प्राचीन विधि है शवासन में लेटकर धीरे धीरे शरीर के हर एक अंग को तनाव से मुक्त किया जाता है । पुरे शरीर को नवीन ऊर्जा प्राप्त होती है । सबसे पहले साफ स्थान पर चादर बिछाकर पीठ के बल शवासन में लेट जाएं। इसके बाद अपनी आंखें बंद कर लें। फिर गहरी सांस ले और फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़े। शरीर को हिलाना नहीं है, नींद नहीं निकालना, यह एक मनोवैज्ञानिक नींद है, विचारों से जूझना नहीं है।
योग निद्रा कैसे करें -:
सबसे पहले तो एक साफ़ जगह पर दरी बिछाकर उस पर चटाई या कम्बल बिछा ले।योग निद्रा करने के लिए ढीले कपड़े का चुनाव करे।
अब चटाई पर शवासन की स्थिति में लेट जाये। जमीन पर आपके दोनों पैरो के बीच लगभग एक फुट की दूरी होना चाहिए।अपनी आँखे बंद रखे, और हथेली को कमर से छह इंच की दूरी पर रखे ।अब सिर से लेकर पांव तक अपने पूरे शरीर को पूर्णत: शिथिल कर दे ।इस वक्त मन में किसी भी तरह का तनाव ना रखे, सांस लेना व छोड़ना जारी रखें।अब सोचे कि आप के हाथ, पैर, आँखे, गर्दन सभी शिथिल हो गए है ।इसके पश्चात मन में ही खुद से कहे की कि मैं योग निद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूं/ रही हूं। ऐसा आप कम से कम तीन बार दोहराएं साथ ही साथ गहरी सांस छोड़ना तथा लेना जारी रखें।आपको अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों पर ले जाना है और उन्हें तनाव रहित करना है|अपने शरीर को आरामदेह और तनावमुक्त स्तिथि में रखें। ऐसा सोचे की संपूर्ण शरीर से दर्द बाहर निकल रहा है और आप बहुत खुश है। इसके बाद गहरी सांस ले।इसके पश्चात अपने मन को सीधे पैर के अंगूठे पर ले जाइए। आपके पांव की सभी अंगुलियां, पांव का तलवा, एड़ी, साथ ही घुटना, जांघ, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है।
बस इसी तरह आपको अपने बांये पैर को भी शिथिल करना है| सांस को सहजता से लें व छोड़ें।आपको लेटे लेटे पांच बार पूरी सांस लेना व छोड़ना है।
सेतुबंधासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाए।अब अपने घुटनों को मोड़े ताकि यह रीढ़ की हड्डी के 90 डिग्री पर हो।
सांस लेते हुए अपने कमर को सहूलियत के हिसाब से उठाए।
इस अवस्था को 20-30 सेकंड तक बनाये रखें।जब आप आसन धारण करते है तो धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े।फिर सांस छोड़ते हुए ज़मीन पर आये।यह एक चक्र हुआ, आप 3 से 5 बार इसे कर सकते हैं।
बद्ध कोणासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
1. कमर सीधी करके योग मैट पर बैठ जाएं। अपनी टांगों को खोलकर बाहर की तरफ फैलाएं।
2. सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें और दोनों एड़ियों को अपने पेट के नीचे की तरफ ले आएं।
3. दोनों एड़ियां एक-दूसरे को छूती रहेंगी। इसके बाद घुटनों को दोनों तरफ नीचे की ओर ले जाएं।
4. दोनों एड़ियों को जितना हो सके पेट के नीचे और करीब ले आएं। इसके बाद अपने अंगूठे और पहली अंगुली की मदद से पैर के बड़े अंगूठे को पकड़ लें। ये पक्का करें कि पैर का बाहरी किनारा हमेशा फर्श को छूता रहे।
5. एक बार आप इस मुद्रा में सहज हो तो एक बार यह जांचें कि क्या आपके प्यूबिस और टेलबोन फर्श से समान दूरी पर हैं। जबकि पेल्विस को सामान्य स्थिति में होना चाहिए और पेरिनम फर्श के समानांतर बना रहे। रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और कंधे पीछे की तरफ खिंचे रहें। इस दौरान सैक्रम या पीठ के पीछे की तिकोनी हड्डी भी मजबूत बनी रहे।
6. हमेशा याद रखें कि कभी भी घुटनों पर जमीन को छूने के लिए दबाव न डालें। लेकिन आप जांघ की हड्डियों पर घुटनों को नीचे करने के लिए हल्का दबाव दे सकते हैं। इससे घुटने अपने आप जमीन की तरफ चले जाएंगे।
7. इस मुद्रा में 1 से 5 मिनट तक बने रहें। इसके बाद सांस खींचते हुए घुटनों को वापस सीने की तरफ लेकर आएं। पैरों को धीरे-धीरे सीधा करें। अब विश्राम करें।
सुखासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
कमर की हड्डी को सीधा कर के बैठें और 60 सेकेंड के लिए सांस खींचें और छोड़ें। इसी पर अपना ध्यान केंद्रित करें। ऐसा करने से मन और दिमाग को शांति मिलती है। शरीर से सारी घबराहट दूर होती है।
मर्जरी आसन :- (चित्र में बताए अनुसार करें )
घुटनों और हाथों के बल बैठ जाएं जैसे शरीर को टेबल बना लिया हो। ध्यान रखें कंधे और हथेली एक सीध में हो, वैसे ही कूल्हे और घुटने भी सीध में रखें। जैसे तस्वीर में दिख रहा है। इससे दिमाग के साथ साथ पूरे शरीर को बहुत फायदा मिलता है।
उत्तान शिशो आसन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
अगर आपको नींद न आने की तकलीफ है तो यह आसन करें। घुटने और हथेली के बल बैठ कर धीरे धीरे अपने हाथों को थोड़ा आगे बढ़ाएं और पैर के अंगूठों को अंदर की तरफ मोड़ लें। सांस छोड़ने पर कूल्हों को पीछे एढ़ियों की तरफ ले जाएं। कोहनी को जमीन से न छूने दें। माथे को नीचे झुका कर गर्दन को आराम दें।
पश्चिमोत्तनासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
जमीन पर बैठ कर पैरों को आगे की तरफ सीधे फैला कर सिर को घुटनों की तरफ ले जाएं। ऐसा करने से शरीर से तनाव और थकान दूर होती है। पाचन प्रकि्रिया भी सुधरती है।
जानू शीर्षासन - (चित्र में बताए अनुसार करें )
पैरों को आगे की तरफ फैला कर, दोनों हाथों से पैर के अंगूठों को छूने की कोशिश करें। फिर एक पैर मोड़ कर दूसरे के साथ ऐसा ही करें। यह सिरदर्द या पीरियड्स के दर्द से भी आराम दिलाता है।
सालांब शीर्षासन :- (चित्र में बताए अनुसार करें )
सिर के बल खड़े हो जाइए औऱ शरीर को पूरा भार गर्दन या सिर पर डालने के बजाए कंधों और हाथों पर डालिए। शरीर में खून का बहाव उलट जाता है। यह तनाव को दूर करने और अपनी सांसों पर ध्यान लगाने में मदद करता है।
बालासन :- (चित्र में बताए अनुसार करें )
घुटने के बल बैठिए और अपने हाथों को आगे की तरफ फैलाइये। ऐसा करते समय शरीर को भी आगे की तरफ झुकाइये। सिर को जमीन से लगा कर आराम दीजिए।
मलासन - (चित्र में बताए अनुसार करें )
मलासन करने के लिए सर्वप्रथम दोनों घुटनों को मोड़ ले और मल त्याग करने वाली अवस्था में बैठ जाएं ।अपनी दाये हाथ की कांख को दाये घुटने पर टिकाये और बाये हाथ की कांख को बाये घुटने पर टिकाये ।चित्र में दिखाए अनुसार अपने हाथो से नमस्कार की मुद्रा बनाये ।अब धीरे-धीरे सांस ले और छोड़े, आपको कुछ देर इसी अवस्था में बैठे रहना है ।उपरोक्त स्थिति में कुछ देर तक रहे फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।धीरे धीरे इस मुद्रा को करने का समय बढ़ाये ।
हलासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
पीठ के बल लेटें। बाजू शरीर के पास रहेंगे। हथेलियां ऊपर की ओर इंगित करेंगी। पूरक करते हुए टांगों, नितम्बों और धड़ को सर्वांगासन की तरह ऊपर उठायें। रेचक करते हुए टांगों को सीधा रखें और उनको सिर के पीछे नीचे ले आयें। पंजों के पोर फर्श को और ठोडी छाती को छूती है। सामान्य श्वास के साथ इस मुद्रा में सुविधापूर्वक जितनी देर रह सकें, ठहरें। पूरक करते हुए दोनों टांगों को सर्वांगासन में ऊपर उठायें। धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए प्रारम्भिक स्थिति में लौट आयें।
सर्वांगासन - (चित्र में बताए अनुसार करें )
इस आसन का अभ्यास करने के लिए सर्वप्रथम चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
सर्वांगासन का अभ्यास करने के लिए हवादार जगह का चुनाव करना अच्छा होगा ।जब आप लेटेंगे अपने दोनो पैरों को मिलाकर रखे तथा पूरे शरीर को सीधा तान कर रखें।अब अन्दर की और धीरे-धीरे सांस ले और पैरों को ऊपर की और उठाएं ।इस क्रिया में पहले पैरों को ऊपर उठाएं, फिर कमर को, इसके पश्चात अपने छाती तक के भाग को ऊपर की और उठाये ।इस क्रिया को करते वक्त पैरों को सीधा रखें, अपने घुटनों को मौड़े नहीं ।आप अपनी कमर को सहारा देने के लिए अपने दोनों हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर पर लगाकर इसे सहारा दे ।इस आसन में शरीर का पूरा भार कंधों पर रहता है| इसलिए इस स्तिथि में आपके कंधे से कोहनी तक के भाग को जमीन से सटाकर रखें ।जब आप ऐसा करेंगे तब आपकी थोड़ी आपकी छाती से सटी हुयी होगी। अब पैरों को तान कर ऊपर की और खिचे, तथा शरीर को स्थिर करते हुए कुछ सेकंड्स इसी स्तिथि में बने रहे ।इस अवस्था में आपको सामान्य रूप से सांस लेना और छोड़ना है|
जब आपको इसकी अच्छी प्रैक्टिस हो जाये तक आसन के अभ्यास का समय बढ़ाकर आप 3 मिनट तक का कर सकते है ।अब सामान्य अवस्था में आने के लिए शरीर को ढीला छोड़ दे, और घुटनों को मोड़कर आराम से सामान्य अवस्था में आये ।इसके बाद 20 सैकेंड तक आराम करें।इस क्रिया को 3 से 4 बार करे ।
शवासन -: (चित्र में बताए अनुसार करें )
आराम से जमीन पर लेट कर चहरा सीधा और ऊपर की तरफ रखें। हाथों को शरीर से लगा कर सीधा रखें और हथेलियों को खुला और छत की तरफ मुंह करता हुआ रखें। इस मुद्रा में पांच मिनट तक रहें। कुछ मिनटों के लिए शरीर को पूरी तरह से शांत रखने से लंबे समय तक की शांति मिलती है।
डिस्क्लेमर: इन आसनों को आप किसी योग एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें। लेकिन उससे पहले अपनी मेडिकल जांच करवा लें। अगर ब्लड प्रेशर या हार्ट संबंधी कोई बीमारी हो तो फिर इन आसनों को न करें या फिर डॉक्टर से जरूर सलाह ले लें।
लेखक योगाचार्य पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी (Msc Yog )