कही आप भी योग के नाम पर किसी पिटी क्लास के शिकार तो नही हो रहें Are you hunting in the name of yoga

कही आप भी योग के नाम पर किसी  पिटी क्लास के शिकार तो नही हो रहें - लेखक -: योगाचार्य पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी 
( M.sc yog) 


कही आप भी योग के नाम पर किसी  पिटी क्लास के शिकार तो नही हो रहें


आज के दौर में योग के लाभ से कोई अनभिज्ञ नही है । सभी को जानकारी है कि योग करने से उन्हें पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त होगा । परन्तु व्यवहारिक तौर पर मैने कुछ अनुभव किया है उसे आप तक साझा कर रहा हूँ । हमारे आसपास मौजूद योग क्लास में योग के नाम पर व्यायाम कराया जा रहा है ।चुकी सीखने वाले योग से अनभिज्ञ होते है अतः उन्हें पता नही होता कि हमारा योगा ट्रेनर हमे क्या करवा रहे है । वहां पर योग के नाम पर 1 से 30 तक या अधिकतम 50 तक गिनती की जाती है । अब प्रश्न उठता है कि इतने कम समय के लिए यदि किसी आसान को किया जाता है तो क्या वो लाभ पहुंचाएगा ? अनेकों जगह यह गिनती भी सेकंड के हिसाब से नही होती गिनती तेजी से कर दी जाती है और एक दिन में अनेकों योग एक साथ करा दिए जाते है । तब प्रश्न उठता है कि तेजी से बिना साँसों पर नियंत्रण के साथ किये गए योग ,योग न होकर व्यायाम हुए उन्हें किस आधार पर योग कहाँ जाएगा ? आपने अनेकों लोगो को देखा होगा कि वो सालों साल योग क्लास के जाने के बाद भी अस्वस्थ्य रहते है । इसके पीछे के कारण को समझना होगा ।  गलत तरीके से किये गए योग आपको फायदे की जगह नुकसान पहुंचाएंगे ।इन योग क्लास के नाम पर संचालित सेंटरों में कोई अनुभवी या योग शिक्षा में डिग्री पूर्ण किया हुआ योग ट्रेनर ही आपको सिखाएगा इसकी कोई ग्यारंटी नही । अनेकों तो ऐसे योग ट्रेनर है जो किसी केम्प से ही योग सीखकर योग सिखाने लगते है । ऐसे योग ट्रेनर आपके शरीर के साथ बहुत खींचतान करवाते है । दिखावे के लिए इनके पास योग के इंटरनेट से मंगाए समस्त साजो सामान उपलब्ध होते है । दिखावे के जाल में फंसकर लोग अपने शरीर के साथ खिलवाड़ कर लेते है जिसका खामियाजा उन्हें जिंदगी भर भुगताना पड़ता है । फिर एक नया चलन चल पड़ा है पॉवर योगा या एडवांस योगा के नाम से कठिन आसानो को करने का अभ्यास कराया जाता है । अनेक लोग अपने शरीर को रबड़ की भांति मोड़ भी लेते है और दांतों तले उंगली दबाने वाले आसान कर भी लेते है । फिर प्रश्न आता है कि क्या शरीर के साथ तोड़ मरोड़ करके वो पूर्ण स्वस्थ्य है ? नही मेने ऐसे योग करने वालो को भान्ती भान्ती की बीमारियों से ग्रस्त पाया है । यह अलग बात है कि प्रदर्शन के हिसाब से इसे अच्छा माना जाता है और बहुत वाहवाही भी मिलती है । परंतु क्या यह वास्तव में योग है । क्योंकि ऐसे योगों को करने वाला स्थिर न होकर कम्पन्न की स्थिति में रहता है । जब सुख पूर्वक स्थिरता के साथ किये जाने वाले आसानो कि ही योग में महत्ता है तो क्यो शरीर के साथ जबरदस्ती करके उसे नुकसान पहुंचाया जाए ? फिर मेरे एक विद्यार्थी का प्रश्न याद आता है उसका कहना है कि सर पसीना आना चाहिए तब लगता है अपन ने कुछ किया है ? बाद में पता चला यही प्रश्न आज हर किसी के मन मे है तो पसीना आना व्यायाम में आवश्यक है योग में पसीना निकालना उद्देश्य कदापि नही हो सकता । अधिकतर जनमानस योगासन तथा व्यायाम इन दोनों को एक ही समझने की भूल कर बैठते है । परन्तु ऐसा नहीं है ।इन दोनों का अपना-अपना महत्व होता है । एक्सरसाइज हर उम्र का इंसान नहीं कर सकता जैसे की वृद्ध या बीमार व्यक्ति ।योग हर उम्र का व्यक्ति कर सकता है । बीमार इंसान भी कुछ आसान सांसों की क्रिया कर सकता है.योग सिर्फ एक कसरत नहीं है ।  कसरत में तो आप सिर्फ शारीरिक प्रक्रिया करते हैं लेकिन योग में आप शारीरिक, मानसिक एवं भावानात्मक इन 3 स्तर की प्रक्रिया करते हैं । योगासन शरीर की स्थिरता को बनाए रखता है जबकि व्यायाम शरीर की गतिशीलता को बढ़ाता है । व्यायाम बाहरी शरीर को बलिष्ठ दिखाने के लिए किया जाता है । जबकि योग बाहरी के साथ साथ आंतरिक शरीर की मजबूती को दर्शाता है ।  व्यायाम में साँसों पर ध्यान नही दिया जाता इसमे सांसे तेजी से चलती है जबकी योग में साँसों का नियंत्रण होना सबसे आवश्यक समझा गया है । व्यायाम का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह होता हैं की इसमें मांसपेशिया कड़क हो जाती है जो उम्र ढलने के साथ बुढापे में दर्द के रूप में हमारे सामने आती है । एक्सरसाइज तीव्रता और प्रबलता पर जोर देती है, जिससे मांसपेशियों को नुकसान भी पहुंच सकता है ।योग धीमी गति से किया जाता है और सहनशक्ति बढ़ाता है ।योग से मांसपेशियां कमजोर नहीं होती हैं । व्यायाम में ऊर्जा बहुत तीव्र गति से खर्च होती है जबकि योग में ऊर्जा धीरे धीरे खर्च होती है जिससे साधक तरोताजा एवं ऊर्जा से भरा हुआ स्वयं को महसूस करता है । व्यायाम में ध्यान केंद्रित नही किया जाता योग करते समय आपको अपनी सांसों और आसान पर ध्यान केन्द्रित करना होता है जिससे शरीर के प्रति जागरूकता बढ़ती है । योग से मानसिक शक्ति बढ़ती है तथा इन्द्रियों को वश में करने की शक्ति आती है । फिर आखिर योग आसान करने की सही समय अवधि क्या है । तो हर आसान की समय अवधि अलग अलग होती है । यह 2 मिनट से शुरू होकर 5 मिनट तक हो सकती है । जब आप किसी आसान को करते है तो यह योग साधना का हिस्सा होती है अतः एक आसान को कम से कम 2 मिनट तक करें प्रारम्भ में आप थोड़ा थोड़ा करके इस समय को अनुकूलन होने तक बढ़ा सकते है । शरीर को साधना ही योग है केवल चुस्त दुरुस्त व्यक्ति या दुबली पतली काया का मालिक ही अच्छा योग कर सकता है ऐसा कतई नही है । बुजुर्गजन भी अपनी क्षमता के अनुरूप योग करके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ ले सकते है । 

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लेखक -: योगाचार्य पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी ( M.sc yog)