तनाव एवं अवसाद से मुक्ति का साधन है योग :- लेखक योगगुरु पं. मिलिन्द्र त्रिपाठी

तनाव एवं अवसाद से मुक्ति का साधन है योग  :- लेखक योगगुरु पं. मिलिन्द्र त्रिपाठी 

आज के युग में तनाव होना आम बात है । आज अनुमानित 80 से 90 प्रतिशत लोग तनाव संबंधित समस्या से परेशान है। तनाव और चिंता का चोली दामन का साथ होता है। आज के समय मे हम दिन रात सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने की होड़ में और अपने स्टेटस को बनाये रखने के लिए दौड़ भाग करते रहते है ।उदास या निराश होना बहुत स्वाभाविक मानवीय गुण है, लेकिन जब ये एहसास बहुत लंबे समय तक बना रहे तो समझ लीजिये कि वो तनाव की स्थिति में है। यह एक ऐसा मानसिक विकार है, जिसमें व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता। उसे अपना जीवन नीरस, खाली और दुखों से भरा प्रतीत होता है। वो अंदर ही अंदर बहुत परेशान हो जाता है और बेमन से काम करता है । मल्टी टास्किंग के जमाने मे एक साथ कई तरह के कार्य करने का चलन बड़ा है जो इस तरह के कार्यो में स्वयं को फिट नही पाते वे विचलित हो जाते है और तनावग्रस्त हो जाते है । छोटा बच्चा हो या बुजुर्ग व्यक्ति हर कोई तनाव से घिरा हुआ है । हमारे आसपास कई ऐसे लोग हमें मिलते है जो तनावग्रस्त रहते है और दिन -रात अवसाद में घिरे रहते है । आजकल समाचार पत्रों में आत्महत्या की खबर भी प्रतिदिन नजर आती है । वर्तमान के प्रतिस्पर्धा युक्त जीवन में लोग आर्थिक संपन्नता ,भौतिकता,दिखावे व कृत्रिमता के पीछे भाग रहे हैं ओर स्वयं के स्वास्थ्य के साथ खुलकर खिलवाड़ कर रहे हैं वो स्वयं को भूल ही गये हैं । सोशल मीडिया पर दिनभर बिताने के कारण तनाव ओर बढ़ गया है । परिवार के साथ बैठा व्यक्ति भी आपस मे बात न करके स्मार्ट फोन में व्यस्त रहता है । परिवार से दूरी तनाव को बढ़ाता है । हाल ही में एक लड़की ने इस लिए सुसाइड कर लिया था कि उसको सोशल मीडिया पर लाइक कम मिल रहे थे । कितना आश्चर्य है कि नगण्य दिखने वाले कारणों से भी व्यक्ति परेशान होने लगा है ।  छोटी छोटी समस्या पर क्रोध आ जाना ,आसपास के लोगो से जलना, ईर्ष्या रखना अपनी सोच के दायरे को छोटा रखना आज प्रचलित मानसिकता का पर्याय बन गया है । जिसके कारण मनुष्य को तनाव, चिंता, थकान, अवसाद, चिड़चिड़ापन, मोटापा, मधुमेह, थायरायड, ह्दय रोग, कैन्सर इत्यादि भयानक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है । सबकुछ होने के बाद भी तनाव ने जकड़ लिया है । प्रायः यह भी देखने मे आ रहा है कि आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यक्ति ओर अधिक तनाव में रहता है । एक छोटा सा बच्चा भी आपको कहते मिल जाएगा "मेरा सर बहुत दुख रहा है में बहुत टेंशन में हूँ ।" चिंता करने के अनेक कारण हो सकते है जैसे परीक्षा के परिणाम की चिंता हो या ऑफिस के प्रोजेक्ट की चिंता, कार्य साक्षात्कार की घबराहट ,पैसों की कमी ,व्यापार में नुकसान,बेरोजगारी आदि हम सभी इन चिंताओं से भलीभांति परिचित है।जीवन में कभी न कभी हर व्यक्ति इस दौर से गुजरता है। भय या चिंता मनुष्य जीवन में लगी रहती है, यहाँ तक तो सब सामान्य है लेकिन असल समस्या तो तब प्रारम्भ होती है जब भाव और चिंता हमारे दैनिक जीवन में निरंतर हावी होने लगती है। उस समय यह चिंता न रहकर मानसिक विकार का रूप ले लेती है। अत्यधिक बेचैनी या किसी अज्ञात बात का भय दिन ब दिन हमें परेशान करता रहता है । जिसका इलाज करना बहुत ही आवश्यक है|ऐसे में बहुत सारे शोधों में जो तनाव से बचने का निदान निकला हैं । उसका सार योग एवं व्यवस्थित दिनचर्या ही है । आज चिकित्सक भी दवाओं की जगह योग के नियमित अभ्यास की सलाह देते है । अगर आप नियमित रुप से योगाभ्यास करते हैं तो, आप शारीरिक रूप से स्वस्थ ही नहीं अपितु , मानसिक व भावनात्मक रूप भी प्रभावशाली एवं संतुलित रह पायेगें । तनाव जो बहुत सारी बीमारियों की जड़ है । बिगड़ती सेहत को रोकने के लिए जरूरी है दिमाग को शांत रखना। योग के नियमित अभ्यास से कार्टिसोल नामक हार्मोन ( तनाव हार्मोन ) कम होता है व आक्सीटोसिन हार्मोन में वृद्धि होती है हर अंग में रक्त परिसंचरण होता है जिसका सीधा सम्बन्ध हमारे शरीर के प्रत्येक अंगों से होता है जो हर अंग को स्वस्थ्य बनाये रखने में मदद करता है़ जिसके कारण हमारा मस्तिष्क तनावरहित व संपूर्ण शरीर स्वस्थ रहता है । योग से होने वाले शारीरिक लाभों के साथ ही यह अच्छे मूड को भी बढ़ावा देता है। योग एवं ध्यान ,मस्तिष्क को तनाव से निपटने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में सक्षम होने के लिए हमे तैयार करता हैं। योगासन  के साथ साथ सभी प्राणायामों में मस्तिष्क में शुद्ध प्राणवायु (ऑक्सीजन) का संचार होता है जिससे मस्तिष्क ऊत्तकों को ताजगी व पोषण मिलता है। मस्तिष्क के कार्य यथा बुद्धि, धैर्य व स्मरण शक्ति अच्छे होते हैं। मनोविकार , चिंता,  बेचैनी, अवसाद, उन्माद आदि विकारों की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं । समय प्रबन्धन का उपयोग करके भी हम नियमित होने वाले सूक्ष्म तनाव से आसानी से बच सकते है ।

तनाव भगाने की कुछ सरल ध्यान विधि-:  
सुखासन में बैठकर नियमित ध्यान लगाने से भी तनाव से मुक्ति मिलती है आरम्भ में हम शान्त एवं एकांत में बैठकर हमारी आती जाती श्वासों की गिनती करके थोड़ा अभ्यास कर सकते है फिर एकाग्र होकर मन मे बिना किसी विचार को लाये एकाग्रचित्त होकर ध्यान लगा सकते है । शुरुवात में 5 मिनट फिर अभ्यास द्वारा इस समयसीमा को बढ़ा सकते है ।

एक विचार जो बदल देगा आपका जीवन :- हमे जो भी जीवन मे प्राप्त हो रहा है सब प्रभु की कृपा से प्राप्त हो रहा है । हम सिर्फ अपने कर्म में विश्वास करें फल की इच्छा का त्याग कर दें । फल जो हमें ईश्वर प्रदान कर रहे है उसे सहर्ष भाव से स्वीकार करें । 

शोध क्या कहते है -: 

शोध कहते है कि योग कोर्टिसोल और एड्रेनलिन हॉर्मोन को कम करने में सक्षम है। और यह दोनो मुख्य तनाव हार्मोन हैं जिनकी वजह से आप तनाव महसूस करते हैं। परंतु एक या दो दिन योग अभ्यास करना इन हॉर्मोन को संतुलित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अधिकांश अध्ययन बताते हैं कि हार्मोनल सुधार के लिए प्रतिदिन 30 से 60 मिनट, सप्ताह में 3 से 5 दिन नियमित अभ्यास करने से 3 से 6 महीने में आपको तनाव से  राहत मिलेगी। 


तनाव प्रबंधन में उपयोगी आसान -: 
सुखासन,पश्चिमोत्तनासन,मर्जरी आसन,जानू शीर्षासन,
सालांब,शीर्षासन,बालासन,शवासन,मालासन,उत्तानासन,सर्वांगासन,
हलासन,अधोमुख श्वान आसन ,
सेतुबंधासन,धनुरासन ,मत्स्यासन,
भ्रामरी प्राणायाम,शीतली प्राणायाम,अनुलोम विलोम प्राणायाम  आदि ।




लेखक योगगुरु पं. मिलिन्द्र त्रिपाठी