योग बीमारियों पर विजय का ब्रह्मास्त्र है -: लेखक योगगुरु पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी
जैसे ही मन मे योग का विचार आता है ,या कानो में जैसे ही योग शब्द जाता है ,तो कल्पना में आता है कोई आसान करता हुआ व्यक्ति परन्तु योग का क्षेत्र व्यापक है । शरीर और मन का संतुलन ही योग कहलाता है ।योग एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। योग अति प्राचीन वैज्ञानिक पद्धति है । योग की सिद्धि से व्यक्ति शारीरिक ही नहीं वरन आत्मिक रूप से भी पूर्ण निरोगी होकर आत्मा से परमात्मा का स्वरुप प्राप्त कर लेता है । व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए योग परम आवश्यक युक्ति है |
“योगश्चित्तवृतिनिरोध:” पतंजलि के अनुसार चित की वृतियों का निरोध ही योग कहलाता है |”व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। योग सही तरह से जीवन जीने का विज्ञान है और इसलिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है।योग सबसे पहले बाहरी शरीर पर लाभ पहुंचाता है फिर व्यक्ति को भावनात्मक तौर पर मज़बूती प्रदान करता है जिससे दैनिक तनाव से उसे मुक्ति प्राप्त होती है । आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में बीमारियों ने इन्शान को अपने जाल में जकड़ लिया है ।
हम अपने आसपास देखते है कम उम्र में गम्भीर बीमारी होना आम बात हो गयी है । वही कम उम्र में ह्रदयघात (हार्ट अटैक) आकर जीवन समाप्त होने की घटना भी हमारे आसपास बहुत अधिक मात्रा में हो रही है । ऐसे में हमे नियमित अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना बेहद आवश्यक हो गया है । नियमित कोई न कोई व्यायाम करना या,घूमना ,दौड़ना ,खेलना हमे अपने दिनचर्या में शामिल करना चाहिए साथ ही बच्चों को मोबाइल टीवी से निकाल कर कम से कम एक घण्टा मैदान में खेल के लिए प्रेरित करना ही चाहिए । घर में रहते हुए बिना किसी खर्च के आज के दौर का वरदान है योग जिसे हम नियमित रूप से अपनाकर गम्भीर से गम्भीर बीमारियों से बच सकते है । यह बीमारियों के अलावा तनाव ,चिड़चिड़ापन ,शारीरिक सुस्ती को भी हमे दूर करता है ।
योग शरीर के उन भागो में प्रभाव डालता है जहां जिम की महंगी महंगी मशीन भी अपना प्रभाव नही पहुंचा सकती ।
लेकिन योग करने के पूर्व हमे निम्न सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ।
1.योगासन खुली और ताजी हवा में करना सबसे अच्छा माना गया है।
2. योग करने के लिए मन और चित्त शांत और एकाग्र होना बेहद आवश्यक है ।
3.योग करने के पहले सूक्ष्म व्यायाम अवश्य करें ।
4.अगर आप सुबह के समय योग कर रहे हैं तो योग करते समय अपना चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा में रखिये और शाम के समय योग करते समय चेहरे को पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए।
5.योग के दौरान श्वास का विशेष ध्यान रखा जाना जरुरी है क्योंकि श्वास की प्रक्रिया को नियंत्रित किये बिना योग पूरा नहीं हो सकता।
6.दो अलग प्राणायम या योगासन के बीच 1 से 2 मिनट का फर्क रखें।
7.अगर आपको कोई भी गंभीर समस्या, जोड़ों, कमर, घुटनों में अधिक दर्द है तो योग करने के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
8.अपने शरीर के साथ ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें।
9.याद रखे कि किसी भी योगासन को झटके से न करें और न ही योग मुद्रा से झटके से निकले। इसके अलावा योग उतना ही करे, जितना आप आसानी से कर पाएं ।
10.योग ख़ालिपेट करें शाम को योग करने के पूर्व यह ध्यान रखे कि भोजन करने के 4 घण्टे के अंतर के बाद योग करें । योग करने के आधा घंटे के बाद हीं कुछ भी खाना या पीना चाहिए ।
11.सरल आसान का पहले नियमित करते रहें अभ्यास फिर कठिन आसान की तरफ जाए ।
शुरुआती दौर में ही अपेक्षा से अधिक योग नहीं करना चाहिए. धीरे-धीरे योग की समयावधि को बढ़ाना उचित रहता है. नहीं तो अपेक्षा से अधिक योग करना हानिकारक हो सकता है.
12.योगअभ्यास के बीच मे ठंडा पानी न पिए ।
13.योगासन करने के तुरंत बाद न नहाएं बल्कि कुछ समय बाद स्नान करें।नहाने से 20 मिनट पहले या नहाने के 20 मिनट बाद तक योग नहीं करना चाहिए.
14.योग करते समय हमेशा ढीले और आरामदायक कपड़े ही पहनें।
15.महिलाओं को पीरियड्स के दौरान योगाआसन, प्राणायाम नहीं करने चाहिए ।
16.अगर कोई महिला गर्भावस्था में है, तो उन्हें योग विशेषज्ञ और डॉक्टर की सलाह पर हीं योग करना चाहिए.
17.योग करने के दौरान शरीर के किसी भी तरह के वेग जैसे छींक आना, पेशाब इत्यादि को रोककर नहीं रखना चाहिए.
18.किसी भी तरह का योग करते समय अगर आपका जी मिचलाता है, सिर दर्द होता है, चक्कर आना या अन्य किसी तरह की परेशानी होती है, तो योग विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से सलाह लेना उचित होता है
19.पूरी तरह से योग का लाभ पाने के लिए नियमित रूप से इसका अभ्यास करना जरुरी होता है. हफ्ते में सिर्फ एक या दो दिन योग करने से इसका विशेष लाभ नहीं मिलता । शुरुआत में आधा घण्टा नियमित योग करने के बाद एक माह पश्चात एक घण्टा नियमित योग करना लाभदायक होता है ।
20.योगाभ्यास के अंत में हमेशा 5 मिनट तक शवासन करें।
लेखक योगगुरु पं.मिलिन्द्र त्रिपाठी